अघोरेश्वर किन-किन गुणों के होने से होते हैं ?

0

                    सुधर्मा ! अघोरेश्वर किन-किन गुणों के होने से होते हैं ? 

                      अघ कुकृत्य से विरत होने वाले को अघोरेश्वर कहते हैं। अघ-अपायगति-विरत को अघोरेश्वर कहते हैं। इन्द्रियों के भोग से, भव  के भोग से, भव के अघ से विरत को अघोरेश्वर कहते हैं।

                    साधकों ! शरीर रूपी चैत्य में चरित्र को आश्रय देने वाले, चरित्र को पूजने वाले, चरित्र को चराने वाले, चरित्र को अपने आप में बराबर पाने वाले को अघोरेश्वर जानो। दूषित-चित्त वाला, दूषित काया वाला, दूषित कृत्य वाला, परिणाम वाला अघोरेश्वर पद को नहीं प्राप्त करता है---नहीं जानता है। उसे उपलब्धि नहीं होती है। जो अपनी उपेक्षा कर, दूसरे की आशा करता है, ऐसे प्राणी अघोरेश्वर को नहीं प्राप्त करता।

                 हमारे बहुत से महान अघोरेश्वर स्वर्ग में चले गये। उनके विचार, क्रिया, आदर्श, चरित्र आज भी भूमंडल पर स्वच्छ-निर्मल-शीतल सभी प्राणियों को कल्याणकृत्यों को दे रहे हैं। शुद्ध चक्षु वाले, शुद्ध सीधा हृदय वाले, सीधा मन वाले, सीधे इन्द्रिय वाले, सीधे विचार वाले, इन अघोरेश्वरों का अवलोकन करते हैं और अपनी चैत्य को आदर्श रूपी पतंग की ध्वजा की तरह फहराते हैं रहते हैं। जो टेढ़ी इंद्रिय वाले हैं, जो टेढ़े मनवाले हैं, जो टेढ़-स्वभाव के हैं, जो टेढ़ी दृष्टी वाले हैं, जो टेढ़े कृत्य वाले हैं, उनके लिये सिद्धेश्वर, अघोरेश्वरमुदिता, उपदेश-दृष्टि प्राप्त हो, इसकी बिल्कुल संभावना नहीं है ।

               टेढ़ा, टेढ़ा ही है। इसी टेढ़ापन के कारण उपासक-उपासिकाओं में, साधक-साधिकओं में, शिष्य-श्रद्धालुओं में सीधापन नहीं आता है, सीधी दृष्टि नहीं होती है, सीधा विचार उत्पन्न नहीं होता, सीधा जीवन नहीं जी पाते, सीधी मुदिता नहीं प्राप्त कर पाते। टेढ़ा सीधी अवस्था में नहीं रह पाता है। टेढ़ा सिद्ध नहीं हो पाता है तो अपना सर धुनता है, पछताता है और अपने आप को कोसता है। ऐसे लोगों को ऐसा ही जानना चाहिये। टेढ़े के कारण, टेढ़-टाढ़ के कारण, घुमाव और मोड़ के कारण, यह सब विकृतियों का आश्रयस्थान बना हुआ है। ऐसे प्राणी मनुष्य अघोरेश्वर अघ से एक ओर रहने वाले नहीं दीख सकते हैं, नहीं जान सकते हैं, न ही उनमें अच्छी दृष्टि, अच्छे विचार का उदय हो सकता है, इसकी बिल्कुल संभावना नहीं है सुधर्मा ।

…परम् पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *