आदि महोत्सव में आने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ, दिल्ली के लोग समृद्ध जनजातीय शिल्प, संस्कृति और खानपान का आनंद ले रहे हैं
जनजातीय कलाकारों ने दर्शकों को अपनी रंगारंग प्रस्तुति से मोह लिया
राष्ट्रीय जनजातीय उत्सव ‘आदि महोत्सव’ के आखिरी दो दिन भारी संख्या में पहुंचकर दिल्लीवासियों ने जनजातियों के समृद्ध शिल्प, संस्कृति और खानपान का आनंद लिया। दिल्ली में आयोजित एक पखवाड़े का यह महोत्सव जिस समय अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में दिल्ली के लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंचे। जनजातीय जीवन शैली का समारोह मनाने वाले इस आदि महोत्सव में जनजातीय हथकरघा, हस्तशिल्प, कलाकृतियों और प्राकृतिक उत्पादों का न सिर्फ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया गया, बल्कि उनकी बिक्री भी की गई।
एक तरफ दिल्लीवासी जनजातियों के उत्पादों का आनंद ले रहे थे, तो दूसरी ओर जनजातीय कालाकरों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से दिल्लीवासियों का मन मोह लिया। इसके साथ ही आदि व्यंजन के स्टॉलों पर दिल्लीवासियों को जनजातीय खानपान का अनूठा स्वाद भी चखने को मिला।
आदि महोत्सव जैसे एक लघु भारत बन गया। इसमें वर्लीऔरपटचित्र शैली की 1000 से ज्यादा पेंटिंग्स, पूर्वोत्तर की वान्चू और कोन्याक जनजातियों के डोकरा आभूषणों से लेकर मोतियों के नेकलैस, दक्षिण की प्रख्यात टोडा कढ़ाई से लेकर असम का एरी सिल्क, रंगबिरंगी कठपुतलियों और बच्चों के पारम्परिक खिलौनों से लेकर पारम्परिक डोंगरिया शॉल, राजस्थान का कोटा डोरिया, बस्तर की लोहे से बनी शिल्प कलाकृतियां, बांस से बनी कलाकृतियां और बेंत का बना फर्नीचर, मणिपुर की प्रसिद्ध ब्लू पॉटरी और लांगपी पॉटरी प्रदर्शन और बिक्री के लिए रखी गई थी।
आदि महोत्सव – जनजातीय शिल्प, संस्कृति और व्यापार का महोत्सव है, जो नई दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में 15 फरवरी, 2021 को सुबह 11 बजे से रात के 9 बजे तक दर्शकों के लिए खुला है। किसी भी दिल्लीवासी को इस महोत्सव के अंतिम दो दिन यहां जरूर आना चाहिए। आदि महोत्सव में शामिल होकर और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का हिस्सा बनकर जनजातीय सामान खरीदिए।