इन्डस्ट्रीज एण्ड काॅमर्स एसोसियेशन धनबाद के 89वें वार्षिक आम सभा संपन्न

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इन्डस्ट्रीज एण्ड काॅमर्स एसोसियेशन धनबाद के 89वें वर्ष पूरे होने पर आज दिनांक 30 सितम्बर को 89वां वार्षिक आमसभा के अवसर पर सभी माननीय सदस्यगण ने द्वीप प्रज्वलित करने के पश्चात राष्ट्रगाण के साथ कार्यक्रम का आरम्भ किया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रमोद पाठक ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में उपस्थित सदस्यों एवं आमंत्रित सज्जनों का स्वागत करते हुए अध्यक्ष श्री बी.एन. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा यह ऐसोसियेशन अपने 89वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और यह बड़ी बात है। इन लगभभग नौ दशकों की यात्रा में हमने कई बार विभिन्न तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं और हम इसके बावजूद अपनी यात्रा सफलता पूर्वक जारी रख सके। यह आप सारे लोगों के सहयोग से ही संभव हो सका। किन्तु हमारा पिछले कोई दो वर्षाें का अनुभव काफी दुःखद रहा। कोरोना महामारी के संकट ने वैश्विक से लेकर स्थानीय स्तर तक पूरी मानवता को परेशान किया और यह साबित हुआ कि प्रकृति मानव से ज्यादा सशक्त है। यह सीख हमें काफी कुछ गंवा कर मिली। अर्थव्यवसा अपनी गंभीरतम चुनौती का सामना कर रही है और आगे का मार्ग काफी दुरूह है। महामारी की चोट असहनीय थी और औद्योगिक परिदृश्य हतोत्साह करने वाला प्रतीत हो रहा है। जो विकास और प्रगति कुछ वर्ष पहले सुखद लग रही थी, इन दो वर्षों ने उन्हें दुःखद बना दिया।
उन्होंने कहा कि मित्रों, महामारी का प्रकोप तो लगभग समाप्ति की ओर है लेकिन हमें तैयार रहना है। तनिक भी कोताही खतरनाक साबित हो सकती है। हम सचेत रह कर ही इस संकट से उबर सकते हैं। आज इस साधारण वार्षिक सभा के माध्यम से हम यह संकल्प ले, कि इस दुनियां में हमारा अस्तित्व हमारी संघर्ष की क्षमता और जीवटता पर ही निर्भर है। हमें सजग रहकर उन चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयारी करनी है जो हमारा देश और हमारे उद्योग के सामने आयेंगी।

ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्विक व्यवस्था सही नहीं चल रही है , महामारी तो एक दैविक प्रकोप था जिसने हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे उद्योग को प्रभावित किया, लेकिन एक मानव जनित विध्वंस भी काफी कष्टदायक साबित हो रहा है सज्जनों मैं रूस यूक्रेन युद्ध की बात कर रहा हूं जिसके चलते हमको कोरोना के प्रकोप से उबरने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। यह युद्ध काफी बुरे समय में शुरू हुआ है। जब दुनिया संक्रमण काल से गुजर रहा था तब रूस और यूक्रेन के युद्ध ने एक बड़ी संकट खड़ी कर दी। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इस युद्ध का कोई अंत नहीं दिख रहा है । यही नहीं उधर चीन ताइवान संकट भी मुंह बाए खड़ा है और पूरे विश्व पर कठिनाई के बादल छाए हुए हैं मानव का अहम उसकी सोचने समझने की शक्ति कुंड कर देता है और उसे विनाश की ओर ले जाता है । वह अपना भला-बुरा समझने में सक्षम नहीं रहते युद्ध वह अंतिम चीज थी जो आज विश्व के सामने आनी थी लेकिन दुनिया युद्ध की ओर बढ़ रही है।

राष्ट्रीय परिदृश्य का जहां तक सवाल है तो हमारी चुनौतियां बढ़ रही है मूल्य वृद्धि अनियंत्रित हो रही है और बहुसंख्यक जनता महंगाई की मार से पीड़ित है। आवश्यक वस्तुओं के दाम रोकने में सरकार विफल है और ईंधन की कीमतों में वृद्धि औद्योगिक उत्पादों को महंगे बनाकर उनकी स्पर्धा की छमता घटा रहे हैं । केंद्र सरकार आर्थिक मोर्चे पर बहुत सफल नहीं दिख रही है और लगता है कि बाजार की शक्तियां आक्रामक हो रही हैं एवं उनका मुकाबला करने की हमारी क्षमता क्षीण हो रही है । इस विषम परिस्थिति में भारत चीन मोर्चे पर बढ़ता तनाव हमारी समस्या बढ़ा रहा है । चीन को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते और उसके नेतृत्व की महत्वाकांक्षा के आलोक में हमें अपनी प्रतिरक्षा की क्षमता बढ़ानी होगी प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों की चुनौतियां गंभीर हैं । अपने प्रदेश का जहां तक सवाल है तो यहां भी परिस्थितियां बहुत उत्साहवर्धक नहीं है । एक और तो हम उन्हीं पुरानी समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनसे हम पीड़ित थे वहीं कुछ नए संकट भी उभर रहे हैं सरकार व्यापार जगत को उत्साहित करने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठा रही है।

औद्योगिक हितैषी वातावरण तैयार करने में आधारभूत संरचना एवं कानून एवं व्यवस्था की बड़ी भूमिका होती है । किंतु इस मोर्चे पर हमें बहुत उम्मीद नहीं दिख रही आज भी हवाई सेवा से हम वंचित हैं। कुल मिलाकर स्थानीय से लेकर वैश्विक वातावरण उत्साहवर्धक नहीं प्रतीत हो रहा है । आज जब हम अपनी पटरी से उतरी हुई अर्थव्यवस्था और अपने उद्योग को फिर से सही पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं तो यह आवश्यक है कि हम पिछले 1 वर्ष की स्थिति का अवलोकन करें ।अब जबकि हम कोरोना महामारी की काली छाया से बाहर निकलने के लिए प्रयासरत हैं ।हमारी सबसे बड़ी चुनौती कोकिंग कोल का अभाव है जो भारत कोकिंग कोल लिमिटेड बीसीसीएल की हठधर्मिता के चलते हैं ।इनका यह रवैया हमारे उद्योग की स्थिति सुधारने में सबसे बड़ी बाधा है। हमारी स्थिति को जानते हुए भी बीसीसीएल अपनी वही कोयला वितरण नीति को लेकर पड़ा हुआ है जो ना तो तर्कसंगत है और ना ही उद्योग हित में । कोकिंग कोल का सही इस्तेमाल ना करके उसे थर्मल पावर प्लांट को देना अनुचित है कोयला मंत्रालय भी इस देश और उद्योग के बेहतर हित में नहीं सोच रहा है ।जमीनी सच्चाई को स्वीकारना नहीं चाहता यही वजह है कि हमारे बहुत से सदस्य कोकिंग कोल का आयात करने के लिए वाद्यय हैं , जो कि राष्ट्र हित में नहीं है और सरकार स्वयं भी मानती है कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए ।

कैसी विडंबना है कि कोयला खनन से जुड़ी सरकारी कंपनियां कोयला बर्बाद कर रही है , मनमाने ढंग से कोयला उत्खनन किया जा रहा है और राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण संसाधन रंगदार और ठेकेदारों की भेंट चढ़ रहा है इन सारी बाधाओं के बावजूद हम अपने कदम बढ़ाते रहें और हम अपने उत्पाद को देश के बाजार की सेवा करते रहें अगर कोयला कंपनी हमारे साथ सहयोग करती तो हम बाजार के स्पर्धा में और भी बेहतर कर पाते हैं और अपने देश की अर्थव्यवस्था को और भी ज्यादा आगे ले जाते यदि भारत सरकार और कोयला कंपनी का सहयोग हमें नहीं मिला तो हमारे सदस्य उद्योगों को आयातित कोकिंग कोल पर निर्भरता बढ़ानी होगी जिससे ना केवल हमारे उद्योगों की उत्पाद का लागत मूल्य बढ़ेगा बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करेगा यही नहीं आयातित कोयले के हार्ड को इकाइयों तक पहुंचाने में कई बाधाएं हैं काफी प्रयासों के बाद हमने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव प्राप्त किया है यदि हमें भारत सरकार का सहयोग मिले तो विकास की इस यात्रा में हम भी बड़ा योगदान कर सकते हैं

हमारा उद्योग आज गंभीर संकट से गुजर रहा है उबरने की प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा कोल इंडिया और भारत कोकिंग कोल की नीतियां हैं यह हमारे कच्चे माल की आपूर्ति करता है लेकिन इनकी नीति और नजरिया ना तो तार्किक है और ना ही उद्योग अनुकूल कोयला मंत्रालय इन्हीं के पक्ष में है कोयला वितरण नीति दिनों दिन हमारे लिए हानिकारक होती जा रही है और इसके चलते हमारे सदस्य उद्योग कोकिंग कोल आयात करने को बाध्य हैं हालांकि सरकार कहती है कि आयात कम से कम हो लेकिन नीतियां कुछ और करती है लेकिन सरकार हमारे उद्योग पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही हमारा उद्योग एक रोजगार बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण उद्योग है और देश के विकास के लिए जरूरी है किंतु पता नहीं क्यों हमें केंद्रीय नीतियों में तरजीह नहीं दी जाती हम कोयला मंत्रालय की नीतियों और कोल इंडिया एवं भारत कोकिंग कोल के रवैए के चलते मरण मरण सन हो रहे हैं क्या स्थिति महामारी ई के पहले से जारी है कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया तक में गुहार लगाई यही नहीं हमने अपनी इस समस्या से जिला उद्योग केंद्र उपायुक्त धनबाद एवं प्रबंध निदेशक भाग को भारत कोकिंग कोल लिमिटेड को भी अपनी समस्याओं से अवगत कराया लेकिन कुछ लाभ नहीं मिला इस उद्योग को बचाना सबके हित में है फिर भी अनदेखा किया जा रहा है न्यायालय न्यायालय की शरण में भी हम गए हैं लेकिन वहां भी मामले में निलंबित हो रहे हैं हालांकि कोरोना काल के बाद अब कुछ गति आई है निम्नलिखित बिंदु हमारी स्थिति पर प्रकाश डालते हैं पहला यह उद्योग बड़ी ही अनिश्चितता ओं के माहौल में काम करता है और बाजार के तेजी से आने वाले बदलाव काफी परेशानी का कारण होते हैं अतः यह आवश्यक है कि इस माहौल में स्थायित्व लाने हेतु नीतियां बनाई जाए प्रतिस्पर्धा की तीव्रता हमारे लिए काफी समस्याएं पैदा करती है और कुछ खिलाड़ी इस बाजार को गलत तरीके से प्रभावित करते हैं जिससे में स्थायित्व नहीं रहता यह उद्योग सामरिक महत्व वाला है केवल मुनाफा के उद्देश्य से नहीं चलाया जाना चाहिए कोई नियामक एजेंसियों का अभाव खलता है कोल इंडिया और भारत कोकिंग कोल जैसी कंपनियों पर सरकार द्वारा स्थापित नियामक संस्थाएं होने से इन कंपनियों की मनमानी नहीं चलती पोल कंट्रोलर एवं रेगुलेटर जैसी संस्थाओं का अंकुश जरूरी होता है दूसरा हम किसी विशेष व्यवहार की अपेक्षा सरकार से नहीं चाहते लेकिन हमारा निवेदन यह है कि भारत सरकार इस उद्योग को बचाने की दिशा में तत्काल कदम उठाए ताकि या सही ढंग से चले और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में योगदान करें यह ज्ञात हो कि हमारा हार्डकोक उद्योग झारखंड का एक बड़ा रोजगार देने वाला उद्योग है और इसके चलते गरीब आदिवासी और दबे कुचले लोगों के एक बड़े तबके की जीविका चलती है जब हमें भारत कोकिंग कोल द्वारा लिंक कोकिंग कोल मिलता था तब हमारा उत्पाद बहुत ज्यादा होता था और हम लौह इस्पात उद्योग को बेहतर गुणवत्ता के हाट को की आपूर्ति करने करते थे लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस की सरकार और बाद में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक के बाद एक नीतियों में बदलाव लाकर उद्योग को काफी कमजोर कर दिया पहले हमें लिंक द्वारा निर्धारित कोटे की आपूर्ति होती थी जिसे बाद में इंधन आपूर्ति करार के नाम से एक नई नीति के रूप में लाकर हमारे को खत्म कर दिया गया और यही है और यहीं से हमारे उद्योग की परेशानी शुरू हुई फिर भी हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते रहे और उत्पादन ठीक-ठाक ही होता रहा लेकिन पिछले 18 वर्षों से एक और वितरण नीति लाख दी गई जिसे लिंकेज ऑप्शन का नाम दिया गया इसमें उद्योग जो हाट को बनाते थे उन्हें कोयला व्यापारियों के समकक्ष खड़ा कर दिया गया और नतीजा यह हुआ कि या एक प्रकार के एक प्रकार से बेशकीमती राष्ट्रीय संपदा को नष्ट करने का एक मार्ग बन गया उद्योग के लिए जिन्हें कोयला चाहिए था उन्हें कोयला मिलना मुश्किल हो गया और कुछ पहला व्यापार से जुड़े लोग इस पूरे नीलामी प्रकरण पर हावी हो गए मैं एक बार फिर से यह कहना चाहूंगा कि कोयला वितरण की समीक्षा होता कि हार्डकोक उद्योग बच सके

तीसरा कोकिंग कोल की आपूर्ति ना मिलने की वजह से हमारे हार्डकोक उद्योग को हल्दिया और विशाखापट्टनम बंदरगाह बंदरगाह के जरिए आयातित कोयला मंगवा कर मंगवाना पड़ता है इसकी वजह से हमारे उत्पादन की कीमत बढ़ जाती है और हमारे उत्पाद मांगे हो जाते हैं इसकी वजह से हमें दोहरी मार पड़ती है उत्पादन की कीमत और बाजार में हमारे उत्पाद की कीमत दोनों तरफ से हमें चोट पड़ती है इतना ही नहीं बंदरगाह से इस क्षेत्र तक कोयला पहुंचने में जो मार्ग में कई तरह की बाधाएं आती है बहुत से अवैध दीपू खुल गए हैं और रोज उत्पन्न करते हैं प्रशासन इस पर कार्यवाही नहीं करता

चौथा कोल इंडिया लिमिटेड और उसके अनुषंगी इकाइयों हमारी मांग को पूरा नहीं कर पाती और हमारी खबर का मात्र 10 से 20 फ़ीसदी ही आपूर्ति करती है साथ ही उनके कोयले की गुणवत्ता भी सही नहीं होती और हमारा खासा नुकसान होता है सरकार एवं कोल इंडिया को यह सोचना चाहिए कि इस उद्योग के हित में बनाई गई नीतियों में नीतियों से सबका फायदा है मजदूर उद्यमी उद्योग एवं अर्थव्यवस्था सभी लाभान्वित होते हैं इस बात को समझने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर कोयला कंपनियों हमारे उद्योग को सही मात्रा और गुणवत्ता का कोयला क्यों नहीं देना चाहती इससे उनका उत्पादन भी बढ़ेगा सही उपभोक्ता को कोयला भी मिलेगा और देश पर से आयात का बोझ भी कम होगा हमें उचित मात्रा में और दर पर कोयला मिले तो कोयला चोरी पर भी रोक लग सकती है वैसे इसके अलावा भी बहुत से मुद्दे हैं जो हमें प्रभावित करते हैं और जिनको हम वर्षों से उठाते हैं जैसे कानून एवं व्यवस्था कानून एवं व्यवस्था आज भी शहर के हर तबके के लिए एक चुनौती है और व्यापार एवं उद्योग से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ी समस्या यह समझने की आवश्यकता है कि आर्थिक विकास के लिए एक शांत और भयमुक्त वातावरण जरूरी है पिछले कुछ वर्षों में शहर में अपराध बढ़े हैं और प्रशासन असहाय दिख रहा है यहां तक कि न्यायिक पदाधिकारियों का भी जीवन सुरक्षित नहीं है यह स्थिति रही तो न्याय करने में भी न्यायिक प्रणाली कमजोर पड़ेगी रंगदारी और माफिया तत्वों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है और प्रशासनिक अधिकारी भी आशंकित है इसके लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है अपराध रोकने के लिए पुलिस इंटेलिजेंस को सुदृढ़ करना होगा आजकल अपराधी बेखौफ हो रहे हैं बुनियादी ढांचा औद्योगिक विकास कई चीजों पर निर्भर होता है लेकिन बुनियादी ढांचा एक महत्वपूर्ण आयाम है एक बेहतर उद्योग अनुकूल बुनियादी ढांचा जरूरी है सड़क बिजली यातायात जलापूर्ति व अन्य सुविधाएं विकसित ना हो तो उद्योग व व्यापार अप्लाई करने लगते हैं और ऐसा ही हो भी रहा है धनबाद में यह सुविधाएं काफी कमजोर है बिजली की कमी से तो उद्योग बुरी तरह से प्रभावित है सड़कों की स्थिति भी दयनीय है और जाम की समस्या भैया वाला की एक पूरी तरह स्थापित नगर निगम इस शहर के विकास के लिए बना हुआ है लेकिन दुखद पहलू यह है कि निगम अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह सक्षम नहीं साबित हुआ है राज्य का एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र होने के बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी यहां हवाई सुविधा का विकास नहीं हुआ आज के दौर में विकास का आवश्यक शर्त है इंटरनेट सेवाएं भी अपर्याप्त हैं और लोगों को रफ्तार चाहिए वह नहीं मिल पाती राज्य सरकार को इस पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है देवघर से ज्यादा जरूरी धनबाद में हवाई अड्डा है स्वास्थ्य सेवाएं शहर की बढ़ती मांग के अनुरूप यहां स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं है और लोगों को थोड़ी भी आवश्यकता पड़ने पर रांची दुर्गापुर या फिर और दूर जाना पड़ता है पिछले कुछ वर्षों में निजी प्रयासों के चलते कुछ अपेक्षाकृत बड़े अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की मांग है इसकी तुलना में इतना काफी नहीं है दूसरे लहर के दिनों स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था की कमजोरी पूरी तरह से उसकी धनबाद धनबाद आसपास के पिछड़े इलाकों की स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता पूरी करता है या और भी जरूरी है कि शास्त्रों में सरकार निवेश करें और निजी क्षेत्र को भी आमंत्रित करें प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप पर जोर देकर सेवा का ढांचा सुधारा जा सकता है सज्जनों आज इस महत्वपूर्ण अवसर पर मैं अपने संगठन के तमाम शुभचिंतकों एवं सहयोगियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जो हमारे उधम और अभियान को सफल बनाने में सदैव अपना सहयोग देते हैं सबसे पहले मैं यहां के जनप्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं खासकर हमारे सांसद व विधायक गण जिनसे हम समय-समय पर सहयोग की अपेक्षा करते हैं यहां का जिला प्रशासन जिसके मुखिया उपायुक्त हैं एवं पुलिस प्रशासन जिसका नेतृत्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक शहर एवं अधीक्षक ग्रामीण करते हैं उनको मैं अपनी संस्था की तरफ से धन्यवाद देता हूं यहां कि सिविल सोसाइटी भी हमें सहयोग करती है और हम उनके आभारी हैं मैं आज यहां उपस्थित विशेष जन एवं हमारे सम्मानित सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूं जिनका सहयोग हमारा उत्साहवर्धन करता है मैं इस संस्था के शुभचिंतक एवं शहर के मानिंद बुद्धिजीवी प्रमोद पाठक प्रबंध विशेषज्ञ आईआईटी धन्यवाद देता हूं जो समय-समय पर हमारा सहयोग करते हैं मैं अपने तमाम साथियों का मुख्य रूप से वरीय उपाध्यक्ष श्री सुरेंद्र कुमार सिन्हा एवं उपाध्यक्ष श्री रतन लाल अग्रवाल का भी धन्यवाद ज्ञापन करता हूं जिन के सहयोग से हमारी संस्था आगे बढ़ती है मैं अपने कार्यालय के साथियों के प्रति विशेष रूप से आभारी हूं जो इस संस्था की सफलता के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं और मीडिया के तमाम साथियों का भी आभारी हूं बंधु चुनौतियां बढ़ रही हैं और आवश्यकता है उनका संयुक्त रूप से सामना करने की इसमें आपका सहयोग अपेक्षित है और यही हमारी शक्ति भी है एक बार फिर आपका अभिवादन धन्यवाद कार्यक्रम का समापन इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के उपाध्यक्ष श्री सुरेंद्र कुमार सिन्हा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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