उपायुक्त की सांत्वना, अच्छी चिकित्सा, इलाज पर विश्वास और धैर्य के कारण
डॉ बीके सिंह ने दी 5 दिन में कोरोना को मात
घबराने से इम्युनिटी पर पड़ता है गहरा असर
चिकित्सा व्यवस्था और इलाज पर रखे विश्वास
शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में माइक्रो बायोलॉजी लैब के एचओडी डॉ बीके सिंह ने 5 दिन की अच्छी ट्रीटमेंट के बाद वैश्विक महामारी की दूसरी लहर को मात दी और आज दोपहर में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए।
एचएनएमएमसीएच कैथ लैब में इलाजरत डॉ बीके सिंह ने डिस्चार्ज होने के बाद उपायुक्त सह अध्यक्ष, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद, श्री उमा शंकर सिंह एवं जिला प्रशासन द्वारा प्रदान की गई बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्थाओं पर अपनी राय रखी।
डॉ सिंह ने बताया कि वैश्विक महामारी की दूसरी लहर को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, धनबाद ने चुनौती के रूप में लिया है। प्रत्येक अस्पताल में चिकित्सा की बेहतरीन व्यवस्था की है। गत वर्ष की तरह, इस बार भी जिला प्रशासन की तैयारी बहुत ही अच्छी है।
उन्होंने कहा, स्वयं उपायुक्त श्री उमाशंकर सिंह ने उन्हें आकर सांत्वना दी। यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें एयरलिफ्ट करके बेहतर उपचार के लिए बाहर भेजा जाएगा। जो उनके लिए वरदान साबित हुआ और मानसिक तौर पर वे हर चिंता से मुक्त हो गए।
डॉ सिंह ने बताया कि कैथ लैब एसएनएमएमसीएच के मेडिकल नोडल पदाधिकारी डॉ यूके ओझा के नेतृत्व में अन्य मरीजों के साथ साथ उनका भी बहुत ही अच्छे तरीके से उपचार किया गया। जिस कारण उन्होंने इस वैश्विक महामारी की दूसरी लहर को 5 दिन में मात दे दी और आज स्वस्थ होकर अपने परिजनों के पास जा रहे हैं।
डॉ सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल को वे जांच कराने के लिए अस्पताल में गए थे। उनका रिजल्ट पॉजिटिव आया। रिजल्ट पॉजिटिव आते ही उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करा दिया गया और तत्काल ऑक्सीजन, दवाइयां का इंतजाम कर ट्रीटमेंट आरंभ कर दी गई।
कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए संदेश देते हुए डॉ सिंह ने कहा कि मरीज को कभी भी घबराना नहीं चाहिए। घबराने से इम्युनिटी पर गहरा असर पड़ता है और वह कम होने लगती है। घबराहट में कोई भी कोरोना संक्रमित मरीज अपनी इम्युनिटी को नष्ट न करें।
कहा, हमेशा पॉजिटिव सोचे। सकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक सोच से वे इस चुनौती को हरा सकने में कामयाब होंगे। साथ में यह भी कहा कि मरीज को धैर्य रखना है। जिला प्रशासन द्वारा की गई मुकम्मल चिकित्सा व्यवस्था और इलाज पर विश्वास रखना है। जिस अस्पताल में मरीज भर्ती है वहां से अपने को पूरी तरह से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होना है।