एनआरडीसी ने एक और कंपनी को सौंपी पीपीई सूट ‘नवरक्षक’ की तकनीक

0

कोविड-19 के प्रकोप के बीच व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नौसेना द्वारा विकसित पीपीई सूट ‘नवरक्षक’ की तकनीक एक और कंपनी को हस्तांतरित की गई है। नेशनल रिसर्च डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (एनआरडीसी) द्वारा इस पीपीई सूट को बनाने की तकनीक आगरा की मेसर्स इंडियन गारमेंट कंपनी को सौंपी गई है।

यह कंपनी पहले से ही पीपीई किट का निर्माण कर रही है और आगरा एवं आसपास के अस्पतालों को इसकी आपूर्ति कर रही है। ‘नवरक्षक’ पीपीई सूट के उत्पादन का लाइसेंस मिलने के बाद कंपनी का लक्ष्य हर साल 10 लाख से अधिक सूट के उत्पादन करने का है। नई दिल्ली में इंडियन गारमेंट कंपनी के प्रमुख राजेश नय्यर और एनआरडीसी के प्रबंध निदेशक डॉ एच. पुरुषोत्तम ने इससे संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारतीय नौसेना के मुंबई स्थित आईएनएचएस अस्विनी अस्पताल से संबद्ध इंस्टीट्यूट ऑफ नेवल मेडिसिन के नवाचार प्रकोष्ठ द्वारा इस पीपीई सूट की तकनीक विकसित की गई है। नवरक्षक सूट को बनाने में नौसेना के डॉक्टर अर्नब घोष की मुख्य भूमिका रही है। अग्रिम पंक्ति में तैनात चिकित्सकों एवं अन्य कर्मियों के आराम और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर इस सूट को बनाया है।

यह पीपीई सूट बनाने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले विशिष्ट कपड़े का उपयोग किया गया है, जिसमें हवा का प्रवाह बना रहता है। जबकि, इसे कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है, जिससे इसकी सिलाई को मजबूती देने के लिए महंगी टेपिंग और सीलबंद करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस पीपीई सूट का परीक्षण और प्रमाणन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशाला नाभिकीय औषधि तथा सम्बद्ध विज्ञान (इनमास) ने किया है।

नवरक्षक सूट का उपयोग करने वाले व्यक्ति की त्वचा से उत्सर्जित ऊष्मा और नमी पीपीई से बाहर निकलती रहती है। अलग-अलग परिस्थितियों के अनुसार एक परत और दोहरी परत में ये पीपीई सूट उपलब्ध हैं। यह सूट हेड गियर, फेस मास्क और जाँघ के मध्य भाग तक जूतों के कवर के साथ भी आता है। पीपीई सूट में उपयोग किए गए संवर्धित श्वसन घटक कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में लड़ रहे उन योद्धाओं को राहत प्रदान कर सकते हैं, जिन्हें यह सूट लंबे समय तक पहनना पड़ता है और काम के दौरान कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इससे पहले, इस पीपीई सूट के निर्माण की तकनीक पाँच अन्य सूक्ष्म व लघु उद्यमों को व्यावसायिक उत्पादन के लिए सौंपी जा चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *