कपड़ों की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं देने से थोक वस्त्र विक्रेता संघ के द्वारा विरोध

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

झारखंड सरकार के अनलाॅक करने के आदेश से जहाँ संक्रमण की वजह से कपड़ों की दुकानों को नहीं खोलने की अनुमति दिये जाने से कपड़ा व्यवसायियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया है। धनबाद थोक वस्त्र विक्रेता संघ के पदाधिकारियों ने इसे सरकार को सौतेला व्यवहार करने की संज्ञा दी है। धनबाद जिला थोक वस्त्र विक्रेता संघ के श्री उमेश हेलिवाल ने कहा कि सरकार द्वारा झारखंड को 15 ज़िला और 9 ज़िलों में बांट दिया गया है। कपड़े, जूते, कॉस्मेटिक और ज्वैलरी को छोड़ सभी दूकानों को खोलने की अनुमति दी गयी है। कपड़ों के व्यापारियों की भी स्थिति काफी दयनीय हो गयी है। व्यवसायी वर्ग ने सरकार को कोरोना की रोकथाम हेतु लॉकडाउन के समय पूरा सहयोग किया है। अब जब सरकार और जनसमर्थन से कोरोना काबू में है तो सरकार को 9 और 15 जिलों में प्रदेश को नहीं बांटना चाहिये। झारखंड के सभी जिलों में कपड़ो की आपूर्ति धनबाद और राँची जैसे जिलों से ही होती है, ऐसे में माँग और आपूर्ति के संतुलन में अंतर होने से कीमतें बढेंगी।

वहीं धनबाद जिला थोक वस्त्र विक्रेता संघ के महासचिव श्री घनश्याम नारनोली ने कहा कि
केवल 9 जिलों में ही वस्त्र व्यवसाय को नही खोलने के झारखण्ड सरकार द्वारा लिया गया ये निर्णय एक ही राज्य में सौतेले व्यवहार जैसा प्रतीत होता है। केवल इन जिलों के व्यवसायियों को ही अपनी जीविका चलाने पर पाबंदी लगाना कतई उचित निर्णय नही है। सरकार द्वारा लिया गया ये निर्णय वस्त्र व्यवसायियों को काले पानी की सजा देने के समान है। उन्होंने कहा कि धनबाद ज़िला थोक वस्त्र विक्रेता संघ इस निर्णय का पुरजोर विरोध करता है और मांग करता है कि इस निर्णय पर पुनः विचार किया जाए।

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