करोड़ों रुपए के खर्च के बाद भी बिजली की आंखमिचौनी जारी, परेशानी

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डॉ आर लाल गुप्ता लखीसराय
विकास के इस दौर में मानव के लिए 5 मूलभूत आवश्यकताओं भोजन वस्त्र आवास शिक्षा चिकित्सा के बाद अगर कोई चीज है तो आज के तारीख में बिजली का रहना माना जा सकता है। एक ओर जहां भारत डिजिटल इंडिया में प्रवेश कर चुका है वही अनगिनत आवश्यकताओं की पूर्ति बिजली से होती है, यह किसी से छुपा नहीं है। परंतु अफसोस इस बात का है की बिजली की बेहतर व्यवस्था को लेकर सरकारी तौर पर करोड़ों रुपया खर्च कर जहां बिजली के खंभे को दुरुस्त किया गया वही नए तारों से लैस भी किया गया। बिजली के सुख से आदतन आदि हो गए मानव के लिए बिजली की गैर हाजिरी से काफी कष्टमय गुजरता है। मौसम की बात की जाए तो कभी लू के थपेड़े देने वाले मौसम तो कभी बरसाती उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में घंटे भर भी बिजली नहीं रहना काफ़ी दुश्वार महशुस होती है। वर्तमान में बिजली की स्थिति की बात की जाए तो 24घंटे में करीब दो तीन घंटे नहीं रहती जो परेशानी का सबब है। लोगों ने विभाग से इसे दुरुस्त करने की मांग किया है।

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