केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने “आकांक्षी” जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा की

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डोनर मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ाने के लिए 190 करोड़ रुपये की मंजूरी

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज “आकांक्षी” जिलों में कोविड-19 की स्थिति और स्वास्थ्य सुविधा की समीक्षा की, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ावा देने के लिए, विशेष रूप से संक्रामक रोगों के प्रबंधन के लिए, बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 190 करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान करने का फैसला किया है।

एक वर्चुअल बैठक को संबोधित करते हुए, जिसमें स्वास्थ्य सचिवों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के 14 आकांक्षी जिलों के उपायुक्तों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आकांक्षी जिलों की अवधारणा 49 प्रमुख संकेतकों पर आधारित थी, जिनमें स्वास्थ्य सेवा की स्थिति एक महत्वपूर्ण घटक थी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए तंत्र के माध्यम से, प्रत्येक आकांक्षी जिले को इन प्रमुख संकेतकों में सुधार लाने और अपनी रेटिंग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना था अर्थात दिए गए संकेतकों के आधार पर राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला और देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला बनना था।  

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कोविड महामारी से एक महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त हुआ कि भविष्य में महामारी और संक्रमण से निपटने के लिए पहले से सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं तैयार करना जरूरी है। इन बातों पर विचार करते हुए, उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) ने पूर्वोत्तर राज्यों को स्वास्थ्य संबंधी परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव भेजने का विकल्प प्रदान किया है जिससे उन्हें डीओएनईआर मंत्रालय के अंतर्गत, नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (एनईआईएसडीएस) से 500 करोड़ रुपये तक की राशि की प्राप्ति हो सके। तदनुसार, उन्होंने कहा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम और नागालैंड राज्यों द्वारा प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जबकि आठवें राज्य त्रिपुरा से प्रस्ताव का इंतजार किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि लॉकडाउन से बहुत पहले, कोरोना महामारी के प्रारंभिक चरण में, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) ने गैप-फंडिंग में तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए 25 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके बाद नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (एनईआईएसडीएस) फंड के अंतर्गत 500 करोड़ रुपये तक लाभ उठाने का विकल्प सामने आया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने असम के गोलपारा और धुबरी के आकाक्षीं जिलों की सराहना की, जिन्होंने आयुष्मान भारत का क्रमशः लगभग 100% और 85% कवरेज प्राप्त कर लिया है। इसके अलावा, गोलपारा जिले द्वारा छह महीने के अंदर ही, 150 आकांक्षी जिलों की अखिल भारतीय सूची में अपनी स्थिति में सुधार करते हुए 68 से बढ़ाकर 16 कर ली है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कनेक्टिविटी का मुद्दा होने के बावजूद, पूर्वोत्तर राज्यों ने कोरोना संकट के प्रबंधन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दों को उनके संज्ञान में लाया गया है, उदाहरण के लिए आयुष्मान भारत के संभावित लाभार्थियों की सूची में कमी और गोल्डन कार्ड की लागत, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इन्हें उचित अधिकारियों के सामने उठाया जाएगा।

सचिव, डोनर और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आठ राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पिछले दो महीनों में स्वास्थ्य प्रबंधन से प्राप्त अनुभव के आधार पर अपनी जानकारी साझा की गई।

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