केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के लिए कार्यान्वयन दिशानिर्देशों को जारी किया

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2024 तक दुग्ध उत्पादन बढ़कर 330 मिलियन टन होने की संभावना; सरकार द्वारा दूध प्रसंस्करण को 40% तक बढ़ाने की कोशिश – श्री गिरिराज सिंह

एएचआईडीएफ द्वारा डेयरी एवं मांस प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन अवसंरचना की स्थापना में निवेश को प्रोत्साहन और निजी क्षेत्र में पशु चारा संयंत्रों की स्थापना की सुविधा प्रदान की जाएगी

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने आज 15,000 करोड़ रुपये के पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) के लिए कार्यान्वयन दिशानिर्देशों को जारी किया, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कई क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भय भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के अंतर्गत 24.06.2020 को मंजूरी प्रदान की है। इस अवसर पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, श्री प्रताप चंद्र सारंगी भी मौजूद थे।

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआइडीएफ) की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए, श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने के लिए नस्लों का सुधार करने में लगा हुआ है और दूसरी तरफ प्रसंस्करण क्षेत्र पर भी ध्यान दिया जा रहा है। भारत द्वारा वर्तमान में, 188 मिलियन टन दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है और 2024 तक दुग्ध उत्पादन बढ़कर 330 मिलियन टन तक होने की संभावना है। अभी केवल 20-25% दूध प्रसंस्करण क्षेत्र के अंतर्गत आता है और सरकार की कोशिश इसे 40% तक लेकर जाने की है। उन्होंने यह भी बताया कि सहकारी क्षेत्र में अवसंरचना के विकास के लिए डेयरी प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (डीआईडीएफ) लागू किया जा रहा है और निजी क्षेत्र के लिए एएचआईडीएफ, इस प्रकार की पहली योजना है। बुनियादी ढांचा तैयार होने के बाद लाखों किसानों को इससे फायदा पहुंचेगा और दूध का प्रसंस्करण ज्यादा होगा। इससे डेयरी उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा जो कि वर्तमान समय में नगण्य है। डेयरी क्षेत्र में भारत को न्यूजीलैंड जैसे देशों के मानकों तक पहुंचने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, डेयरी किसान देश के उपभोक्ताओं को दूध की आपूर्ति निरंतर बनाए रख सकते हैं।

सरकार द्वारा डेयरी अवसंरचना में विकास के लिए डेयरी सहकारी क्षेत्र द्वारा किए गए निवेश को प्रोत्साहित करने की दिशा में कई योजनाओं को लागू किया जा रहा है। एएचआईडीएफ की स्थापना एमएसएमई के ​​रूप में की गई है और निजी कंपनियों को भी प्रसंस्करण और मूल्यवर्धित अवसंरचना में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। एएचआईडीएफ, डेयरी और मांस प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन अवसंरचना और निजी क्षेत्र में पशु चारा संयंत्रों की स्थापना के लिए इस प्रकार की अवसंरचना की स्थापना में निवेश की आवश्यकता को प्रोत्साहित करने में भी सहायता प्रदान करेगा।

इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों में, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, धारा 8 में शामिल कंपनियां, निजी क्षेत्र की कंपनियां और व्यक्तिगत उद्यमी शामिल होंगे, न्यूनतम 10% मार्जिन राशि के अंशदान के साथ। शेष 90% राशि, अनुसूचित बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला ऋण होगा। भारत सरकार पात्र लाभार्थियों को 3% ब्याज अनुदान भी प्रदान करेगी। मूल ऋण राशि के लिए 2 वर्ष का शुल्क स्थगन और उसके बाद 6 वर्ष के लिए पुनर्भुगतान अवधि प्रदान की जाएगी।

भारत सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से प्रबंधित, 750 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी कोष की स्थापना भी की जाएगी। उन स्वीकृत परियोजनाओं को ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी जो एमएसएमई की परिभाषित सीमा के अंतर्गत आते हैं। गारंटी कवरेज, उधारकर्ता की ऋण सुविधा का 25% तक होगा। डेयरी और मांस प्रसंस्करण और मूल्यवर्धित अवसंरचना की स्थापना या मौजूदा अवसंरचना को मजबूती प्रदान करने के लिए, निवेश के लिए इच्छुक लाभार्थी सिडबी के “उद्यमी मित्र” पोर्टल के माध्यम से अनुसूचित बैंक में ऋण प्राप्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं।

निजी क्षेत्र के माध्यम से निवेश के खुलने की अपार संभावनाएं हैं। 15,000 करोड़ रुपये की एएचआईडीएफ और निजी निवेशकों के लिए ब्याज अनुदान योजना, इन परियोजनाओं के लिए आवश्यक पूर्व निवेश को पूरा करने के लिए पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी और निवेशकों के लिए समग्र रिटर्न/ भुगतान वापसी को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। पात्र लाभार्थियों द्वारा प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन अवसंरचना में इस प्रकार के निवेश से, प्रसंस्कृत वस्तुओं और मूल्यवर्धित वस्तुओं के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

चूंकि, भारत में डेयरी उत्पादन का लगभग 50-60% अंतिम मूल्य, किसानों को वापस मिल जाता है, इसलिए, इस क्षेत्र में होने वाले विकास से किसान की आय पर प्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों की प्राप्ति, सहकारी और निजी डेयरियों के संगठित विकास के साथ निकटता से जुड़ी हुई है। इसलिए, एएचआईडीएफ में निवेश प्रोत्साहन, केवल 7 गुना निजी निवेश का लाभ प्राप्त नहीं करेगा, बल्कि आदानों पर अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा जिससे उच्च उत्पादकता में वृद्धि होगी और जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। एएचआईडीएफ के माध्यम से अनुमोदित किए गए उपायों से, 35 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आजीविका सृजन में मदद मिलेगी।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, श्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि सरकार द्वारा 53.5 करोड़ पशुओं का टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है और 4 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से नस्ल सुधार का काम किया जा रहा है। हालांकि हम प्रसंस्करण क्षेत्र में बहुत पीछे हैं। एएचआईडीएफ का उपयोग करके, चारा के लिए भी प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं। इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी और माननीय प्रधानमंत्री के 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में भी सहायता मिलेगी।

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के कार्यान्वयन दिशानिर्देशों का लिंक

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