केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी का वक्तव्य

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यह अत्‍यंत आश्चर्यजनक के साथ-साथ बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण भी है कि विपक्षी दलों के सांसद, विशेषकर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य राज्यसभा में हाल ही में समाप्त हुए सत्र में जो कुछ भी हुआ, उससे जुड़ी सर्वविदित सच्चाई से पूरी तरह भटक गए हैं। ऐसा लगता था कि विपक्षी दलों की एकमात्र मंशा सदन की कार्यवाही बाधि‍त करने की ही थी। हमारे देश की जनता और यहां तक कि इतिहास भी इस बात का गवाह है कि विपक्षी दलों ने सदन की बैठकों में भारी शोर-शराबा और अनुशासनहीनता करने को अब एक तरह से प्रथा ही बना दिया है। दरअसल, विपक्षी दल सदन की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए हर हथकंडा अपनाते हुए दिख रहे हैं। यह उस समय बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण प्रतीत हुआ जब विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने लोकतंत्र के मंदिर को नुक्कड़ की लड़ाई के रंगमंच में बदल दिया।विपक्ष के व्‍यवहार से अत्‍यंत क्षुब्‍ध राज्यसभा के सभापति ने सदन में गतिरोध को तोड़ने के लिए विपक्षी दलों से संपर्क साधा। लेकिन विपक्षी दल सदन में भारी शोरगुल करने से बाज नहीं आए और वे उस दौरान जो भी कह रहे थे वह अस्पष्ट होने के साथ-साथ विरोधाभासी भी थे। सुलह का मूड कुछ हद तक दिखाने के बावजूद उनमें दोहरापन स्पष्ट नजर आ रहा था। जब सभापति ने अत्‍यंत शांत मन से उनसे संपर्क साधा, तो उनकी प्रतिक्रिया से यह साफ साबित हो गया था कि सुलह वार्ता के पीछे मुख्‍य इरादा यही था कि सदन की कार्यवाही किसी भी सूरत में न चले। अब किसी भी तरह से ठीक विपरीत माहौल बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्य जैसे कि श्री जयराम रमेश एक संवैधानिक प्राधिकरण राज्यसभा के सभापति के कामकाज पर सवाल उठाकर न केवल सच्चाई से मुंह मोड़ लेते हैं, बल्कि स्वयं लोकतंत्र का भी अहित करते हैं।हम विपक्षी दलों के सदस्‍यों से अनुरोध करेंगे कि वे विपक्ष की अपनी भूमिका को पूरी शिष्टता के साथ स्वीकार करें, हमारे लोकतंत्र की सुचारू कार्यवाही में भाग लें और तथ्यात्मक एवं नैतिक रूप से गलत बयान न दें।

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