केवीआईसी ने पोखरण के बर्तन बनाने की प्राचीन कला को पुनर्जीवित किया

0

राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक छोटे से शहर, पोखरण की एक समय सबसे प्रसिद्ध रही बर्तनों की कला को पुनः प्राप्ति के लिए, जहां पर भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने आज पोखरण में 80 कुम्हारों के परिवार को 80 इलेक्ट्रिक पॉटर चाकों का वितरण किया, जिनके पास टेराकोटा उत्पादों की समृद्ध विरासत मौजूद है। पोखरण में 300 से ज्यादा कुम्हार परिवार रहते हैं जो कई दशकों से मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के कार्य से जुड़े हुए हैं, लेकिन कुम्हारों ने काम में कठिन परिश्रम और बाजार का समर्थन नहीं मिलने के कारण अन्य रास्तों को तलाश करना शुरू कर दिया था।

इलेक्ट्रिक चाकों के अलावा, केवीआईसी ने 10 कुम्हारों के समूह में 8 अनुमिश्रक मशीनों का भी वितरण किया है, जिनका इस्तेमाल मिट्टी को मिलाने के लिए किया जाता है जो सिर्फ 8 घंटे में 800 किलो मिट्टी को कीचड़ में बदल सकती हैं। व्यक्तिगत रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए 800 किलो मिट्टी तैयार करने में 5 दिन लगते हैं। केवीआईसी ने गांव में 350 प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन किया है। केवीआईसी द्वारा 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किए हुए सभी 80 कुम्हार, कुछ उत्कृष्ट मिट्टी के बर्तनों के साथ आए हैं। इन उत्पादों में कुल्हड़ से लेकर सजावटी वस्तुएं जैसे फूलों के गुलदस्ते, मूर्तियां और दिलचस्प पारंपरिक बर्तन जैसे कि संकीर्ण मुंह वाली गोलाकार बोतलें, लंबी टोंटी वाले लोटस और खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अन्य गोलाकार बर्तन शामिल हैं।

कुम्हारों द्वारा शानदार तरीके से “स्वच्छ भारत अभियान” और “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” ​​को अपनी मिट्टी के बर्तनों की कला के माध्यम से दर्शाया गया है। संयोगवश, यह रविवार के दिन मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के साथ मेल भी खाता है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इलेक्ट्रिक चाकों और अन्य उपकरणों का वितरण करने के बाद, केवीआईसी के अध्यक्ष, श्री विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस अभ्यास को प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के आह्वान के साथ जोड़ लिया है और इसका उद्देश्य कुम्हारों को मजबूती प्रदान करना, स्व-रोजगार उत्पन्न करना और मृतप्राय हो रही मिट्टी के बर्तनों की कला को पुनर्जीवित करना है।

श्री सक्सेना ने कहा कि, “पोखरण को अब तक केवल परमाणु परीक्षणों के स्थल के रूप में जाना जाता था, लेकिन बहुत जल्द ही इसकी पहचान उत्कृष्ट मिट्टी के बर्तनों के रूप में की जाएगी। कुम्हार सशक्तिकरण योजना का मुख्य उद्देश्य कुम्हार समुदाय को मुख्यधारा में वापस लेकर आना है। कुम्हारों को आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान करके, हम उन्हें समाज के साथ जोड़ने और उनकी कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।”

केवीआईसी अध्यक्ष द्वारा राजस्थान में केवीआईसी के राज्य निदेशक को बाड़मेर और जैसलमेर रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के बर्तनों के उत्पादों का विपणन करने और उसकी बिक्री के लिए सुविधा प्रदान करने का निर्देश भी जारी किया गया है, जिससे कुम्हारों को विपणन में सहायता प्रदान की जा सके। “पोखरण, नीति अयोग द्वारा पहचाने गए आकांक्षी जिलों में से एक है। 400 रेलवे स्टेशनों पर केवल मिट्टी/टेराकोटा के बर्तनों में खाद्य पदार्थों की बिक्री होती है जिनमें से राजस्थान के दो जैसलमेर और बाड़मेर शामिल हैं, दोनों प्रमुख रेलमार्ग पोखरण के सबसे नजदीक हैं। केवीआईसी की राज्य इकाई इन शहरों में पर्यटकों के उच्च स्तर को देखते हुए इन रेलवे स्टेशनों पर अपने मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में सुविधा प्रदान करेगी।”

उल्लेखनीय है कि, केवीआईसी द्वारा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों के कई दूरदराज इलाकों में कुम्हार सशक्तिकरण योजना की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम से राजस्थान के कई जिलों जैसे जयपुर, कोटा, झालावाड़ और श्री गंगानगर सहित एक दर्जन से ज्यादा जिलों को लाभ प्राप्त हुआ है।

इस योजना के अंतर्गत, केवीआईसी द्वारा बर्तनों के उत्पाद का निर्माण करने के लिए उपयुक्त मिट्टी को मिलाने के लिए ब्लिंगर और पग मिल्स जैसे उपकरणों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इन मशीनों ने मिट्टी के बर्तनों के निर्माण की प्रक्रिया में लगने वाले कठिन परिश्रम को भी समाप्त कर दिया है और इसके कारण कुम्हारों की आय 7 से 8 गुना ज्यादा बढ़ गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *