कोशिश करता हूँ अपने हिस्से की इंसानियत अदा करने की – सोहराब खान।

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

जिसका कोई नहीं,उसका तो बस खुदा है यारों, यह कहना है धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता सोहराब खान का जिन्होंने अबतक 180 लावारिश लाशों को उनके धर्म, रीति रिवाज एवं परंपरा को निभाते हुए अंतिम संस्कार किया है। आज उन्होंने नया बाज़ार, सुभाष चौक के समीप लगभग 60 वर्षीय एक अज्ञात बुज़ुर्ग के शव को सुपुर्द- ए-खाक किया। उन्होंने बताया कि नया बाजार,सुभाष चौक के पास एक दुकान की शेड के नीचे एक बुजुर्ग व्यक्ति का शव पड़ा मिला। आस पास के दुकानदारों ने इस की सूचना बैंक मोड़ थाना को दी। बैंक मोड़ थाना के ए.एस.आई सोमा उरांव, ए.एस.आई मो०इरफान अहमद के द्वारा आस पास के लोगों से पूछ-ताछ करने पर मालूम हुआ कि बुज़ुर्ग व्यक्ति माँग-खा कर अपनी ज़िन्दगी बसर करता था जिसके आगे पीछे कोई सगा संबंधी नहीं है। बैंक मोड़ थाना द्वारा शव का पंचनामा कर कागजी कार्रवाई पूरी करके पुराना बाज़ार चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व-अध्यक्ष सह सामाजिक कार्यकर्ता श्री सोहराब खान को सूचना दी। श्री सोहराब खान ने शव का धार्मिक शिनाख्त करने एवं कानूनी कारवाई होने के बाद अपने सहयोगी मित्रों इमरान अली, अफ़रोज़ खान, तनवीर अंसारी, शाहिद आलम एवं मोनू आलम द्वारा पूरे सम्मान के साथ पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से अज्ञात बुजुर्ग का रांगाटांड़ कब्रिस्तान में ज़नाज़े की नामज़ अदा करने के बाद सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया। श्री सोहराब खान ने कहा कि खुदा,ईश्वर के द्वारा हमें ऐसे नेक कामों के लिए चुन लिया जाता है और मैं एक कोशिश करता हूँ, अपने हिस्से की इंसानियत अदा करने की।

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