क्रेडिट की होड़

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हरिहरनाथ त्रिवेदी

इस वैश्विक महामारी में जहां देखिए वहीं क्रेडिट लेने की होड़ लगी हुई है। चाहे वह राजनीतिक पार्टी हो, कार्यकर्ता, विधायक, सांसद, मंत्री अथवा पूर्व मंत्री सभी अपनी अपनी शेखी बघारने में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया एवं समाचार पत्र अथवा अन्य माध्यमों से हमें यह साफ देखने को मिल रहा है।

एसबीआई जोनल स्थानांतरण को ही देखें तो इसे रुकवाने की क्रेडिट लेने की छीना-झपटी  सोशल मीडिया पर एवं समाचार पत्रों में देख सकते हैं। कहीं फेसबुक के जरिए विधायक एवं सांसद को बधाई देने का ताता लगा हुआ है तो इससे बौखलाए कुछ नेताओं एवं पार्टियों को जब यह बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह भी खुलकर क्रेडिट लेने के लिए अन्य माध्यमों से प्रकट होने लगे। अरे भाई यह कोई क्यों नहीं समझ पाता है,  कि स्थानांतरण को रुकवाने का कार्य उनकी ही जिम्मेवारी है जिसे हमने अपना नेतृत्वकर्ता चुना है। उन्होंने कोई ऐसा कार्य तो नहीं किया जिसके लिए वे बधाई के पात्र हो गए। यह सभी को मालूम है कि बिहार झारखंड विभाजन के बाद से ही धनबाद को नजरअंदाज किया जा रहा है, तो इस ओर किसी का ध्यान क्यों नहीं जाता है। आज तक तो हमारे नेतृत्वकर्ता धनबाद को हवाई सेवा की सुविधा भी नहीं उपलब्ध करा पाए।

दूसरी ओर वैश्विक महामारी में गरीबों एवं जरूरतमंदों को भोजन करवाकर अपनी फोटो अखबारों एवं सोशल मीडिया पर प्रसारित करवा कर यह क्या साबित करना चाहते हैं, यह बात समझ से परे है। इसके पीछे उनकी सेवा भावना ना होकर उनकी मनसा केवल प्रचार का है, ऐसा प्रतीत होता है। भूखों को भोजन कराकर  ढोल पीटना कहां तक उचित है। क्या यह गरीबों एवं जरूरतमंदों का मजाक उड़ाना नहीं कहा जाएगा। यदि आप किसी की मदद कर रहे हैं तो उसके दिखावे की प्रक्रिया से यह साफ जाहिर होता है, कि इस मदद के पीछे उनकी मदद करने की भावना ना होकर अपनी पब्लिसिटी को बढ़ावा देना ही सर्वोपरि है।

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