गरीबों के हमदम व उदारता के प्रतिमूर्ति थे राम रतन बाबू
डॉ आर लाल गुप्ता लखीसराय
जिले के आदर्श लक्ष्मीपुर गांव निवासी पिता स्वर्गीय राम किसी सिंह एवं माता चमेली देवी के इकलौते संतान राम रतन बाबू उर्फ लालबाबू की पुण्यतिथि उनके पुत्र जिले के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ सह रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन डॉक्टर रामानुज प्रसाद सिंह ने अपने आवास पर मैडम पुष्पा सिंह के साथ अपने पूज्य पिता जी के तैल चित्र पर दीप प्रज्वलित एवं पुष्पांजलि अर्पित कर भाव भीनी मन से पुण्य तिथि मनाया।
अपने पिताजी के जीवनी का उल्लेख करते हुए डॉक्टर रामानुज ने बताया कि वह नारियल के फल के तरह बेशक ऊपर से सख्त थे परंतु अंदर से उतने ही मुलायम थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी पिताजी को तीन बेटे और एक बेटी का परिवार होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ परंतु 1 पुत्र 18 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कर एक पिता के हृदय को अंदर से हिला दिया। समय ने दुखद जख्म पर जब मरहम का काम करना शुरू कर दिया तो सन 1990 में उनकी मां और सन 1998 में उनकी धर्मपत्नी उनसे से विदा ले चल बसे। अकेला पन की जिंदगी के बावजूद भी वे गांव में ही रहना चाहते थे। अलबत्ता कभी कभार लखीसराय भी आते जाते रहते थे।
सन 1990 के बाद उनका समय विभिन्न तरह के शास्त्रों में बितने लगे, हम उम्र दोस्त के संग में जिंदगी को जीने में हौसला बढ़ा। पार्टी करना अतिथियों का आवोभगत उनके जीवन का हिस्सा बन गया था।
उन्होंने हिंदू के ग्रंथ हीं नहीं बल्कि मुस्लिम सिख एवं ईसाई के ग्रंथों का भी अध्ययन किया। एक गरीब अमीर छूत अछूत के दीवार को कभी नहीं माने और सबसे मित्रवत संबंध व सरोकार रखते थे। उनके मित्र मंडली में बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिला पुरुष सभी होते थे। धन की लिप्सा उन्हें कभी सत्य अहिंसा के पथ से विचलित नहीं किया। राम रतन बाबू उर्फ लालबाबू के बड़े पुत्र बहरहाल डॉक्टर रामानुज प्रसाद सिंह शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ हैं, साथ ही मानव सेवा में अग्रणी संस्था रेड क्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन के पद पर विभूषित हो सामाजिक कार्यों को करते हुए समय-समय पर मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाकर गरीबों के बीच दवा साड़ी कंबल आदि का वितरण करना उनके जीवन का अंग बन गया है। आज उनके भरे पूरे परिवार में बड़ी पुत्र वधू पुष्पा सिंह के साथ एक पौत्री ममता तथा दो पौत्र डॉ राहुल एवं रोहित सिंह हैं जो विदेश में तो हैं, परंतु गांव से जुड़े हैं। दूसरे अनिल कुमार सिंह इंडियन इकोनामिक सर्विस में है जो फिलहाल नीति आयोग से बिहार के राजधानी पटना में प्रतिनियुक्त हैं। अनिल कुमार सिंह का भी दो पुत्र दोनों अभियंता है जबकि पुत्री किरण जिले के शहुर गांव में अपने पति भूतपूर्व सैनिक अमरेंद्र कुमार सिंह के साथ निवास कर रही हैं।और गांव के बच्चों में शिक्षा का अलख जगाने में अपने पति को सहयोग देती हैं।
डॉक्टर रामानुज ने बताया कि पिताजी को संगीत में भी काफी रुचि थी और वे तबला ढोलक हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों को भली-भांति बजाते थे। जो आज भी उनके थाती के रूप में रखा हुआ है।