गांव के गलियों से अब फिल्म सिटी का शान बना आलोक

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डा आर लाल गुप्ता लखीसराय

कहते हैं कि विलक्षणता किसी की जागीर नहीं हो सकती। उक्त बातों को साबित करता हुआ लखीसराय जिले के कजरा महसोनी निवासी ब्रह्मदेव पासवान के अनुज पुत्र आलोक कुमार ने गांव के गलियों से गायकी में कदम रखते हुए जहां वर्ष 2009 में महुआ भोजपुरी चैनल द्वारा आयोजित सुर संग्राम नामक प्रतियोगिता में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त करने का गौरव प्राप्त किया। जहां से उड़ान भरता हुआ वर्तमान में सिर्फ गायकी के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि फिल्मों में नायक का अदाकारी भी बखूबी से निभा रहे हैं। अपनी सफलता का श्रेय वे जहां अपने पिता के द्वारा दी गई विरासत में गायकी का गुर बताते हैं वही अपने बड़े भाई संगीत शिक्षक अरविंद कुमार को मार्गदर्शक कहते हैं। जिनके मार्गदर्शन में इतनी बड़ी मुकाम को हासिल करने में सफलता मिली, जिससे फिल्म सिटी मुंबई में अपना पहचान बनाने में सफल हो सके।
आलोक के घराने के बात की जाए तो इनके पिता ब्रह्मदेव पासवान भी अपने जमाने में लोक गायक के रूप में चर्चित रहे थे। विरासत में मिली गायकी के बाद सामवेद की ऋचाओं को अध्ययन करते हुए उसने 2003में शास्त्रीय संगीत में संगीत बिशारद में भी महारथ हासिल किया। कोरोना काल के
लाकडाउन की त्रासदी में आलोक मुंबई में ही रहा।
घर आने के बाद भेंट वार्ता के दौरान आलोक से मिली जानकारी के अनुसार संगीत के नामी-गिरामी हस्तियां कल्पना, कैलाश खेर, उदित नारायण, पवन सिंह खेसारी लाल आदि गायकों के साथ जहां अपनी गायकी का छाप छोड़ने में कामयाब रहे वहीं हिन्दी फिल्म फाइनल मैच, क्रिकेट के के साथ भोजपुरी फिल्में कहिया बियाह बोल अ करव, दूल्हा हिंदुस्तानी, एवं लाल आदि फिल्मों में काम करने का मौका मिला तो दर्जनों पिक्चर में साइन कर चुके हैं जो लॉकडाउन की स्थिति में लंबित है।
इसके साथ ही अपने जिला लखीसराय का चुनाव का ब्रांड एंबेसडर होने का भी आलोक गौरव प्राप्त है।

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