ग्यारहवीं में री एडमिशन फीस को लेकर कार्मेल स्कूल की प्राचार्या को पत्र लिखकर ईमेल

0

मनीष रंजन की रिपोर्ट

निजी स्कूलों के द्वारा सरकार के आदेशों का उल्लंघन करना आम बात हो गयी है। अधिकांश अभिभावक ऐसे में विरोध नहीं करते हैं और संचालक की बातों को मानते हुए उन्हें मनमानी करने की छुट हो जाती है। लेकिन कुछ अभिभावक बातों को उचित प्लेटफार्म पर पहुंचाने की कोशिश करते हैं। आज इसी सिलसिले में धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता एवं केन्द्रीय उपाध्यक्ष मानव अधिकार अपराध एवं भ्रष्टाचार विरोधी संगठन एवं झारखंड अभिभावक महासंघ के उपाध्यक्ष कुमार मधुरेन्द सिंह ने धनबाद के एकमात्र लडकियों के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल कार्मेल स्कूल के द्वारा सरकार के आदेश के उल्लंघन को लेकर कार्मेल स्कूल की प्राचार्या को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का जिक्र किया है। यह केस उनकी अपनी बेटी का ही है जिसमें एक ही स्कूल के बच्चे के दसवीं के बाद ग्यारहवीं में नामांकन में री एडमिशन फीस लेने को लेकर है।
उन्होंने इसकी प्रति अध्यक्ष,बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अपर सचिव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, झारखंड, धनबाद उपायुक्त, जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी एवं महासचिव, झारखंड अभिभावक महासंघ को संज्ञान में लेने के लिए दी है।

दिनांक – 25.06.2021

सेवा में

प्राचार्या महोदया

कार्मेल स्कूल धनबाद

विषय : विद्यालय प्रबंधन के द्वारा झारखंड सरकार के विभाग की अधिसूचना एवं विभिन्न न्यायालयों के आदेश का अवमानना कर मुझे मेरे पुत्री को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के संबंध।

महाशया,

उपर्युक्त विषयक आग्रह पूर्वक सूचित करना है कि मेरी पुत्री माही तोमर शैक्षिक सत्र 2020-21 में आपके विद्यालय (कार्मेल स्कूल, धनबाद) के कक्षा 10 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के उपरांत केंद्र सरकार के द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में उत्तीर्ण घोषित की गई है। मैं अपनी पुत्री का शिक्षा आपके विद्यालय में लगातार जारी रखना चाहता हूं। इस क्रम में मैंने आपके कार्यालय प्रभारी के आदेश के आलोक में अपनी सहमति कला संकाय के लिए ईमेल के माध्यम से उपलब्ध कराते हुए हार्ड कॉपी भी आपके कार्यालय को उपलब्ध करा दिया हूं। इसके पश्चात मुझे विद्यालय के कार्यालय की ओर से शुल्क जमा करने हेतु ऐप उपलब्ध कराया गया। उक्त ऐप के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि मेरी पुत्री के भविष्य के नाम पर मुझे ब्लैकमेल कर मुझे पिछले साल का शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शिविर को बकाया बता कर जमा करने के लिए बाध्य करने का प्रयास किया जा रहा है, जो शैक्षिक सत्र 2020-21 में  झारखंड सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा निर्गत पत्र दिनांक 24.06.2020 के आलोक में अभिभावक संगठनों तथा स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक कर विभागीय आदेश संख्या 1006 दिनांक 25.06.2020 के द्वारा विद्यालय का पठन-पाठन सामान्य होने तक केवल शिक्षण शुल्क मासिक दर्पण लेने का आदेश दिया गया है। झारखण्ड सरकार के द्वारा निर्गत आदेश पत्र का अवलोकन करना चाहेंगे। आप के कार्यालय के सलाह पर सरकार के आदेशानुसार हमने शैक्षणिक शुल्क मासिक दर की राशि एकमुश्त जमा कर दिया है तथा वर्तमान में किसी प्रकार का कोई शुल्क बकाया नहीं है।

आपके द्वारा विद्यालय के सूचना पट्ट पर प्रदर्शित नोटिस एवं ऐप के माध्यम से उपलब्ध कराई गई सूचना के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि मुझे कक्षा-11 में अपनी पुत्री का पुर्ननामांकन कराना होगा तथा उक्त मद में मुझे ₹10,000 की राशि जमा करनी होगी। इस संबंध में मैं आपका ध्यान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश Cambridge School Vs. Payal Gupta Reported in 1995 (5) SCC 512 तथा Principal  , Kendriya Vidyalaya and Others Vs. Saurabh Chaudhary and others reported in AIR 2009 SC 608, इस  क्रम में झारखंड शिक्ष न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए आदेश शिकायत वाद संख्या- 42/2009 (JET), शिकायत वाद संख्या- 35/2017 (JET) एवं शिकायत वाद संख्या- 24/2018 (JET) के साथ-साथ माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश A.C. (S.B.) No. 10 /2009 की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूं, जिसके अनुसार यदि कोई छात्र / छात्रा कक्षा-10 के बोर्ड परीक्षा में पास घोषित हो जाता है और वह उसी विद्धालय के कक्षा-11 में अपनी शिक्षा लगातार जारी रखना चाहता है तो उसे पुर्ननामांकन कराने की आवश्यकता नहीं होगी तथा पुराने नामांकन संख्या के आधार पर ही वह अपनी शिक्षा को जारी रख सकता है। आपके द्वारा उसी नामांकन संख्या को जारी रखते हुए पुर्ननामांकन कराने के लिए बाध्य करने का प्रयास अत्यंत गंभीर एवं आपत्तिजनक है, आपका यह प्रयास मेरे बच्चे के भविष्य के नाम पर मुझे मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर ब्लैकमेल करने के प्रयास के साथ साथ माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों का भी अवमानना है।

अतः अनुरोध है कि पिछले साल का जो शुल्क झारखंड सरकार द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में देय नहीं है, उक्त आदेश के विरुद्ध में मुझे शुल्क जमा करने के लिए बाध्य ना किया जाए ना ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर मेरी पुत्री का नामांकन के लिए नामांकन शुल्क जमा करने के ही बाध्य किया जाए।

विश्वास भाजक 

कुमार मधुरेंद्र सिंह

पिता-माही तोमर 

तारा सदन, पॉलिटेक्निक रोड, धनबाद।

प्रतिलिपि:

  1. अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग , नई दिल्ली।
  2. प्रधान सचिव, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, झारखंड सरकार, रांची।
  3. उपायुक्त, धनबाद, झारखंड।
  4. जिला शिक्षा पदाधिकारी, धनबाद, झारखंड।
  5. जिला शिक्षा अधीक्षक, धनबाद, झारखंड । 
  6. महासचिव, झारखंड अभिभावक महासंघ, झारखंड प्रदेश, धनबाद।

सूचनार्थ एवम आवश्यक कार्यार्थ प्रेषित

https://d-anantprinters.dotpe.in

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *