चिंता नहीं, जागरूकता है कोविड-19 से लड़ने की कुंजी : डॉ. जितेन्‍द्र सिंह

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कोविड-19 के रोगियों के लिए भारत की प्रथम स्‍वदेशी, किफायती, वायरलेस शारीरिक मानक निगरानी प्रणाली  कोविड बीईईपी लॉन्‍च

कोविड बीईईपी मौलिक कोविड के लिए एंटिडोट के रूप में उभरेगा

केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज यहां कहा कि चिंता नहीं, बल्कि जागरूकता कोविड-19 महामारी से लड़ने की कुंजी है। कोविड-19 के रोगियों के लिए भारत की प्रथम स्‍वदेशी, किफायती, वायरलेस शारीरिक मानक निगरानी प्रणाली  कोविड बीईईपी (कन्टिन्यूअस ऑक्‍सीजनेशन एंड वाइटल इंफॉर्मेशन डिटेक्‍शन बायोमेड ईसीआईएल ईएसआईसी पीओडी)  को लॉन्‍च करते हुए उन्‍होंने इस महामारी से कारगर ढंग से निपटने के लिए रोकथाम और जागरूकता के महत्‍व पर जोर दिया, ऐसे समय में जबकि लगभग दो महीने के प्रभावी और समयबद्ध लॉकडाउन के बाद अनलॉक की प्रक्रिया अब चरणबद्ध रूप से शुरू की जा चुकी है। इसे ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद ने आईआईटी हैदराबाद तथा परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से विकसित किया गया है। 

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आईआईटी हैदराबाद, ईसीआईएल, हैदराबाद और टीआईएफआर हैदराबाद जैसे विख्‍यात संस्‍थानों के सहयोग से मौजूदाकोविड-19 संकट के दौरान बीमित व्‍यक्तियों के कल्‍याण के लिए एक अन्‍य नवाचार के प्रस्‍तुत करने वाले और अपने उपकरणों की लम्‍बी सूची में एक नाम और जोड़ने वाले ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद के प्रयासों की सराहना करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि कोविड बीईईपी  इस बात का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है कि भारत के प्रतिष्ठित संस्‍थानों के बीच तालमेल देश के समक्ष आ रही अधिकतर चुनौतियों का समाधान न्‍यूनतम लागत के साथ प्रस्‍तुत कर सकता है और इस प्रकार भारत को सही मायनों में आत्‍मनिर्भरबना सकता है। डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि कोविड बीईईपी मौलिक कोविड,जिस महामारी से इस समय समूचा विश्‍व जूझ  रहा है; के लिए प्रभावी एंटिडोट के रूप में उभरेगा।

कोविड बीईईपी के नवीनतम संस्‍करण में निम्‍नलि‍खित को शामिल किया गया है :

क.   एनआईबीपी निगरानी : कोविड-19 से प्रभावित बुजुर्गों की मृत्‍यु दर सबसे ज्‍यादा है। इसलिए इस संदर्भ में, एनआईबीपी निगरानी आवश्‍यक हो जाती है।

ख.   ईसीजी निगरानी : प्रोफिलैक्सिस जैसी दवाओं और/या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीनऔर एज़िथ्रोमाइसिन आदि जैसे उपचारों का उपयोग हृदय पर प्रभाव डालता है और इसलिए ईसीजी निगरानी का महत्व है।

ग.    श्वसन दर : इसकी गणना बायो इम्पीडन्स मैथॅड से की जाती है।

कोविड बीईईपीइसके फैलने के जोखिम को काफी हद तक कम करने के साथ-साथ पीपीईजैसे संसाधनों की बचत करने में भी मदद करेगा।

डॉ. सिंह ने स्वास्थ्य संबंधी अनेकसमस्याओं के समाधान विकसित करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग के कार्यों की सराहना की। ईसीआईएल परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत हीआता है। लोकप्रिय धारणा के विपरीत, परमाणु ऊर्जा विभाग मानव जाति केव्‍यापक कल्याण के लिए परमाणु ऊर्जा के परोपकारी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत है। चाहे बिजली उत्‍पादन करने का क्षेत्र हो, कृषि उपज बढ़ाने, खाद्य संरक्षण का क्षेत्र होया मुंबई में टीएमसी केनाम से प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजी केंद्र का संचालन करने का क्षेत्र हो, परमाणु ऊर्जा विभाग ने हमेशा जरूरत की घड़ी में देश का साथ निभाया  है ।

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कोविड बीईईपी का विकास उसी दिशा में उठाया गया एक अन्‍य कदम है। डॉ. सिंह से पहले, गृह राज्य मंत्री, श्री जी. किशन रेड्डी, परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव, श्री केएन व्यास, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद के डीन प्रो. श्रीनिवास, ईसीआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकरियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) संजय चौबे ने भी इस अवसर पर वर्तमान संदर्भ में ऐसे आविष्कारों के महत्व को रेखांकित किया।

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