जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दोहरे मापदंड अपनाने को लेकर उपायुक्त को पत्र

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

राज्य सरकार के द्वारा समय समय पर छात्रों की सुविधा के लिए जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए नियमों को आसान किया जाता है उसके बावजूद परेशानियां जस की तस रह जाती है। ऐसा ही एक वाकया धनबाद के सियाराम शरण प्रसाद नाम के एक छात्र के साथ हो रहा है जिसे 2017 में ओबीसी दो के लिए जाति प्रमाणपत्र जारी किया गया था, अब उसी कागजात पर जाति प्रमाणपत्र दुबारा जारी नहीं हो रहा है। आज इसी सिलसिले में धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता एवं केन्द्रीय उपाध्यक्ष मानव अधिकार अपराध एवं भ्रष्टाचार विरोधी संगठन के कुमार मधुरेन्द सिंह ने धनबाद के उपायुक्त श्री उमा शंकर सिंह जी को पत्र लिखकर ईमेल किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि तथाकथित छात्र ने डिप्लोमा करने के बाद चाईबासा के इंजिनीयरिंग काॅलेज में फीस में पचास प्रतिशत की छुट के लिए ओबीसी दो के जाति प्रमाण पत्र को नहीं माना जा रहा है। लड़के के दादाजी 1967 से खान सुरक्षा महानिदेशालय में नौकरी कर रहे थे । अभी वो सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने 1982 में एक जमीन खरीदी थी जिसके आधार पर उनके पोते को 2017 में जाति प्रमाणपत्र जारी हुआ था। अब फिर से पचास प्रतिशत फीस माफी हेतु फिर से जाति प्रमाणपत्र मांगा जा रहा है जिसके लिए 1978 के जमीन की डीड मांगी जा रही है। कुमार मधुरेन्द सिंह ने उपायुक्त धनबाद को पत्र लिखकर ईमेल किया है जिसमें उन्होंने गरीब ओबीसी छात्र के साथ तत्काल मामले की गंभीरता को देखते हुए उपयुक्त कार्रवाई करने की अपील की है। कुमार मधुरेन्द सिंह ने पत्र की प्रति झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन सहित धनबाद के सदर अनुमंडल दंडाधिकारी को भी भेजी है।

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