झारखंड अभिभावक संघ के चरणबद्ध आंदोलन के अंतर्गत उपवास कार्यक्रम रखा गया

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

झारखंड अभिभावक संघ के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रम के तीसरे दिन जिला अभिभावक संघ के बैनर तले एक दिवसीय उपवास रखा गया। जिसमे झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 को लागू करने की मांग की गई। मौके पर संघ के जिलाध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने बताया कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 को वर्ष 2019 से लागू करना था। परंतु झारखंड सरकार और अधिकारियों की शिक्षा के प्रति उदासीनता तथा लापरवाही अधिनियम को लागू नहीं कर रही है। जिससे निजी स्कूल संचालकों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है, तथा अभिभावकों व छात्रों का लगातार शोषण कर रही है। आज भी कुछ अभिभावको ने राजकमल स्कूल, डीएवी एवं धनबाद पब्लिक स्कूल के द्वारा बच्चों को फ़ीस के एवज में ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित किया जा रहा है। शिकायत करने पर अभिभावको को स्कूल बुलाकर दबाब दिया जा रहा है।

इसके खिलाफ जिला अभिभावक संघ चरणबद्ध आंदोलन कर रही है।जिससे लोगों में जागरूकता और सरकार की विफलताओं से अवगत कराया जा सके। साथ ही सरकार और उनके नुमाइंदों की आंख खुले तथा अधिनियम को लागू कराया जा सके।

झारखंड अभिभावक संघ के धनबाद जिलाध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने अनंत सोच लाइव को बताया कि
पिछले साल निकाले गए विभागीय पत्रांक 1006 दिनांक 25/06/2020 का शत-प्रतिशत अनुपालन सत्र 2021-22 में भी सुनिश्चित हो ।

शुल्क के अभाव में छात्रों को ऑनलाइन क्लास से वंचित  ना करे ।

सम्बद्धता प्राप्त निजी विद्यालयों की मनमर्जी पर नकेल कसे, विद्यालय स्तरीय पारदर्शी शिक्षण शुल्क समिति का गठन सुनिश्चित हो।

झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 को राज्य के सभी जिले में पूर्णतया पारदर्शी तरीके से लागू किया जाय। साथ ही शिक्षण के अनुपात में ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण करने, एक्ट के तहत पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन का गठन हर स्कूल में हो।

निजी विद्यालयों की पिछले पांच साल का ऑडिट रिपोर्ट की समीक्षा राज्य सरकार करें ताकि जिस स्कूल की आर्थिक स्थिति ठीक है वहां विभिन्न मदों में लिए जाने वाले शुल्क पर रोक लगे और जिन स्कूलों के आर्थिक हालात खराब है उन्हें आपदा राहत कोष से आर्थिक पैकेज दे सरकार ।

स्कूलों में चलने वाली बसों के टैक्स ,इंश्योरेंस माफ करने को लेकर कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित करे राज्य सरकार।

स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक , शिक्षकेतर कर्मचारियों का  वेतन पूर्व की तरह सुनिश्चित हो।

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