झारखंड अभिभावक संघ के तरफ से चलाये जा रहे अभियान के अंतर्गत आज ट्वीटर पर ट्रेंड किया

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

पिछले कुछ दिनों से निजी स्कूलों के संचालकों के वार्षिक फीस के मनमानी एवं झारखंड सरकार के द्वारा जारी आदेशों को लागू करने के लिए झारखंड अभिभावक संघ के तरफ से क्रमबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है। आज इसी के क्रम में ट्विटर के माध्यम से सैकड़ों अभिभावकों ने निजी स्कूलों के मनमानी के खिलाफ ट्विटर अभियान में भाग लिया।

झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन का चरणबद्ध आंदोलन के तहत आज 30 मई को #टैग के माध्यम से ट्विटर अभियान चलाया गया। ट्विटर अभियान में जिले के आम अभिभावकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने बताया कि आज रांची में
झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय राय ने ट्विटर अभियान के उपरांत एक पत्र झारखंड के मुख्यमंत्री व प्रभारी शिक्षा मंत्री श्री हेमंत सोरेन को ईमेल के माध्यम से व ट्विटर पर टैग कर भेजा । उन्होंने उस पत्र में राज्य के निजी विद्यालयों के शोषण से अभिवावकों को बचाने के सम्बन्ध में लिखा है। पत्र में निजी विद्यालयों की मनमानी एवं अभिवावकों के शोषण के खिलाफ 26 मई 2021 से राज्य स्तर पर आंदोलन की शुरुआत की गई है। श्री अजय राय कहा कि विगत वर्ष 22-05-2020 से देश के साथ-साथ झारखण्ड राज्य में कोरोना के कारण लॉक डाउन लगाए गए थे जिसका सीधा प्रभाव आम लोगों पर पड़ा था और उनकी आर्थिक स्थिति काम- धंधा बंद हो जाने के कारण काफी लचर हो गई । पिछले वर्ष झारखंड अभिभावक संघ की ओर से लगातार निजी विद्यालयों की मनमानी एवं अभिवावकों के शोषण के खिलाफ आंदोलन किया गया, जिसके फलस्वरूप झारखंड के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री जगरनाथ महतो ने सकारात्मक कदम उठाकर संघ एवं स्कूल प्रबंधन के साथ हुए वार्ता के उपरांत इस सम्बन्ध में त्वरित निर्णय लिया। जिसके अंतर्गत झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (माध्यमिक शिक्षा निदेशालय) के पत्रांक सह पठित ज्ञापांक 13 वि12-55/2019/1006 दिनांक 25/05/2020 द्वारा आदेश निर्गत कर कोरोना काल में किसी भी निजी विद्यालय द्वारा शुल्क में बढ़ोतरी नहीं करने तथा किसी भी अन्य मद में शुल्क नहीं लेने का निर्देश सरकार की ओर से राज्य के सभी निजी विद्यालयों को दिया गया। पिछले साल की तरह यह साल भी झारखण्ड राज्य कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है । राज्य के निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से वार्षिक शुल्क ,विकास शुल्क, कंप्यूटर लैब ,स्मार्ट क्लास,मैगजीन, बिजली आदि मदों की सभी शुल्कों को एक में जोड़कर सभी अभिवावकों को अबिलम्ब शुल्क भुगतान करने का दबाब बनाकर अभिवावकों का शोषण किया जा रहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 झारखंड के सभी निजी विद्यालयों पर पुर्णतः प्रभावी है और अधिनियम की कंडिका 7(1) में स्पष्ट रूप से अंकित है कि हर स्कूल के अंदर शुल्क निर्धारण समिति का गठन अनिवार्य रूप से किया जाना है। जिसमें अभिभावक के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और उस समिति के अनुशंसा पर ही कोई शुल्क में बढ़ोतरी की जा सकती है और उसमें भी दो वर्ष के अंदर दस प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढाया जा सकता। अगर शुल्क में बढ़ोतरी की जा रही है तो उसकी अनुशंसा जिला कमेटी के पास की जाएगी। जिसके अध्यक्ष सम्बंधित जिले के उपायुक्त होंगे। इसके बावजूद भी आज राज्य के कई जिलों के निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से शुल्क में वृद्धि कर दी गई है। सभी निजी विद्यालयों द्वारा इस कोरोना काल में 40-50% शुल्क में वृद्धि कर अभिवावकों का शोषण किया जा रहा है। उन्होंने पत्र में अभिवावकों के शोषण के विरुद्ध निम्नलिखित मांगें रखी हैं :-

  1. सभी निजी विद्यालय में झारखंड शिक्षा संशोधन अधिनियम 2017 को पूर्णतः लागू करवाएं।
  2. झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (माध्यमिक शिक्षा निदेशालय) द्वारा पिछले साल निर्गत पत्रांक-सह-पठित ज्ञापांक 13वि12-55/2019/1006 दिनांक: 25/05/2020 को जारी आदेश के तर्ज पे वर्तमान सत्र 21-22 के लिए नया आदेश जारी किया जाय।
  3. सीबीएसई, आईसीएसई, राज्य बोर्ड द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस को विद्यालय अपनी वेबसाइट पर अपलोड कारना सुनिश्चित करवाया जाये ।
  4. कोई भी विद्यालय शिक्षण शुल्क के कारण बच्चों को ऑनलाइन क्लास से वंचित नहीं करना सुनिश्चित करे।
  5. अपने ही विद्यालय को छात्रों को अगली कक्षा में अथवा किसी कक्षा में री एडमिशन (Development Charge, Annual Fee) लेना बंद करने का निर्देश देते हुए उनसे वर्तमान सत्र एवं विगत सत्र में वसूल की गई राशि वापस करवाने का संकल्प निर्गत करें ।

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