झारखंड में जल जीवन मिशन के अंतर्गत 9,544 करोड़ रुपए की जलापूर्ति योजनाएं स्वीकृत की गईं

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झारखंड के 4,424 गांवों में 7.97 लाख परिवारों को लाभान्वित करने के लिए 315 जलापूर्ति योजनाएं

झारखंड की 2024 तक ‘हर घर जल’ वाला राज्य बनने की योजना है

झारखंड के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत 9,544 करोड़ रुपए की 315 जलापूर्ति योजनाएं स्वीकृत की गईं हैं। इन योजनाओं से राज्य के 4,424 गांवों में लगभग 8 लाख ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति की जाएगी।

15 अगस्त 2019 को, जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय, झारखंड में केवल 3.45 लाख (5.83 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति थी। 28 महीनों में, कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की बाधाओं के बावजूद, राज्य ने 6.73 लाख (11.38 प्रतिशत) घरों में नल के पानी का कनेक्शन प्रदान किया है। अभी तक राज्य के 59.23 लाख ग्रामीण परिवारों में से 10.18 लाख (17.20 प्रतिशत) परिवारों को उनके घरों में नल का पानी मिल रहा है।

जल जीवन मिशन (जेजेएम) के अंतर्गत ग्रामीण घरों में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए की जाने वाली योजनाओं पर विचार और अनुमोदन के लिए राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) के गठन का प्रावधान है। एसएलएसएससी जल आपूर्ति योजनाओं/परियोजनाओं पर विचार करने के लिए एक राज्य स्तरीय समिति के रूप में कार्य करता है और भारत सरकार के राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) का एक नामांकित व्यक्ति समिति का सदस्य होता है।

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इस वर्ष केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 2,479.88 करोड़ रुपए जो पिछले वर्ष के आवंटन से चार गुना वृद्धि है। केंद्रीय मंत्री ने चार गुना वृद्धि को स्वीकृति देते हुए 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए राज्य को पूर्ण सहायता का आश्वासन दिया। झारखंड को अब तक 512.22 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के त्वरित क्रियान्वयन के लिए धन की कोई कमी नहीं है। राज्य में समान वित्तीय प्रगति के साथ मिशन कार्यों की वास्तविक प्रगति के साथ, राज्य को आगे की राशि जारी की जाएगी। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को उनके घरों में नल का पानी मिले।

इसके अलावा, 2021-22 में, झारखंड को 750 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, क्योंकि 15वें वित्त आयोग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों/पीआरआई को पानी और स्वच्छता के लिए अनुदान दिया है। अगले पांच वर्ष यानी 2025-26 तक के लिए 3,952 करोड़ रुपये का सुनिश्चित वित्त-पोषण उपलब्ध है।

बैठक में एनजेजेएम की टीम ने तेजी से कार्यान्वयन, प्रभावी सामुदायिक भागीदारी, किए गए कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, उचित वित्त-पोषण के उपयोग के लिए प्रभावी निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया।

देश के स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनबाडी केंद्रों में बच्चों को नल का सुरक्षित पानी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 100 दिनों के अभियान की घोषणा की, जिसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर 2020 को किया। शिक्षा केंद्रों को उपलब्ध काराए जाने वाले नल से जल का उपयोग बच्चों और शिक्षकों द्वारा पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में किया जाता है। अब तक झारखंड में केवल 7,447 स्कूलों (17 प्रतिशत) और 1,755 (4 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों को उनके परिसरों में नल का पानी उपलब्ध कराया गया है। शिक्षा केंद्रों में काम में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता है ताकि बच्चों को सुरक्षित पानी की आपूर्ति की जा सके।

जल जीवन मिशन को ‘नीचे से ऊपर’ की परिकल्पना के बाद विकेन्द्रीकृत तरीके से कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय योजना से लेकर कार्यान्वयन, प्रबंधन से संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य सरकार को ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समिति को मजबूत करने, अगले पांच वर्षों के लिए प्रत्येक गांव के लिए ग्राम कार्य योजना विकसित करने और ग्राम समुदायों का समर्थन करना, लोगों में व्यापक जागरूकता पैदा करना, कार्यान्वयन राज्य एजेंसियों (आईएसए) को शामिल करने जैसी सहायक गतिविधियां चलानी होंगी। झारखंड को ग्रामीण क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि हर घर में सुनिश्चित जल आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक स्थिरता और जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के संचालन और रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सके।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत, समुदाय को समय-समय पर जल स्रोतों और वितरण बिंदुओं की निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता का पता लगाया जा सके। पीएचई विभाग ग्राम समुदायों को उनके गांवों में नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षण और सुविधा प्रदान कर रहा है। झारखंड में जल सहिया जल गुणवत्ता परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे जमीनी स्तर पर पेयजल सेवा वितरण का एक महत्वपूर्ण संवर्ग हैं, जिन्हें अक्सर जेजेएम के कार्यान्वयन से संबंधित गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल देखा जाता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के साथ, आपूर्ति किए गए पीने के पानी की परीक्षण क्षमता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है, जिसके लिए झारखंड में 30 जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएं आम जनता के लिए खोली गई हैं, ताकि लोग जब चाहें नाममात्र की कीमत पर अपने पानी के नमूनों की जांच करवा सकें।

‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के अनुरूप काम करते हुए, जल जीवन मिशन का आदर्श वाक्य ‘कोई भी छूटा नहीं’ है और इसका उद्देश्य पीने योग्य नल के पानी की आपूर्ति तक सार्वभौम पहुंच बनाना है। मिशन की शुरुआत में 2019 में, देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास नल के पानी की आपूर्ति थी। पिछले 28 महीनों के दौरान, कोविड -19 महामारी और लॉकडाउन की बाधाओं के बावजूद, जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है और वर्तमान में 5.50 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में, देश भर में 8.74 करोड़ (45.51 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों में नल के पानी की आपूर्ति है। गोवा, तेलंगाना, हरियाणा राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी, दादरा और नगर हवेली और दमन तथा दीव के केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत घरेलू नल से जल के कनेक्शन सुनिश्चित किए हैं। वर्तमान में 84 जिलों के प्रत्येक घर और 1.30 लाख से अधिक गांवों में नल से जलापूर्ति हो रही है।

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