झारखंड सरकार का व्यापारियों के प्रति दोहरी नीति
वैश्विक महामारी कोविड 19 ने पूरे देश में लाॅकडाउन की वजह से सभी तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी । आमजन एवं देश की आर्थिक व्यवस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने के लिए अब अनलाॅक करने की प्रक्रिया शुरू की गई है । देश के हर राज्य ने अपने हिसाब से देश की गाइडलाइन के अंतर्गत लगभग सभी तरह की गतिविधियों एवं दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है ।यहां तक कि ज्यादातर राज्यों ने अपने राज्य में माॅल एवं मंदिर को खोलने की अनुमति भी दे दी है । शहरी क्षेत्रों में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर बसों के चलाने की भी इजाज़त दे दी है । इस कोरोना महामारी को रोकने के लिए झारखंड सरकार की ज्यादा सक्रियता कहा जाये या राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई कि झारखंड सरकार ने अपने राज्य में सभी राज्यों से अलग रहकर कुछ व्यवसायिक गतिविधियों को छोड़कर लगभग सभी क्रियाकलापों पर पाबंदी लगा रखी है । दिनांक 8 जून से सभी राज्यों ने देश की गाइडलाइन के अंतर्गत माॅल, होटल,रेस्तरां, मंदिर को सोशल डिसटेंसिंग एवं साफ सफाई की हिदायत देकर खोलने का आदेश दे दिया है लेकिन झारखंड सरकार ने माॅल, मंदिर, होटल, रेस्तरां आदि को 30 जून तक नहीं खोलने यानि बंद रखने का आदेश दिया है । झारखंड सरकार ने तो कपड़े, जूते, श्रृंगार, गिफ्ट, खिलौने, फोटो स्टूडियो वाले दुकानदारों को भी खोलने का आदेश नहीं दिया है । अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड में कोरोना पोजिटिव मरीजों की संख्या भी कम है तथा मरीजों के ठीक होने का अनुपात भी ज्यादा है । ऐसे में झारखंड में व्यवसायियों के लिए सरकार की अलग सोच क्यूं है । वर्तमान स्थिति में जहाँ तक सोशल डिसटेंसिंग का पालन करने की बात है ,अभी भी आवश्यक वस्तुओं की दुकानों एवं सब्जी मंडी में सबसे ज्यादा उल्लंघन हो रहा है । बड़ी दुकानों एवं माॅल खुलने को लेकर जो सोच है कि वहां सोशल डिसटेंसिंग का पालन नहीं किया जा सकता है वह सरासर गलत है क्योंकि बड़ी दुकानों एवं माॅल वाले ही सरकार के द्वारा तय मानकों को लागू करने में सक्षम हैं । झारखंड सरकार ने झारखंड राज्य में व्यवसायियों के साथ दोहरी नीति अपनाया है जिससे व्यवसायियों का सरकार के प्रति विश्वास को चोट लगी है । आज झारखंड राज्य में बेरोजगारी पूरे देश में सर्वोच्च स्थान पर है उसके बावजूद सरकार ने अपने आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगा रखी है । झारखंड प्रदेश आदिवासी बहुल औधोगिक राज्य होने के बावजूद बेरोजगारी की स्थिति चरम पर है जो झारखंड पे काले धब्बे के समान है ।