तालाबों में डाले जा रहे मछलियों के बीज
डा आर लाल गुप्ता लखीसराय
हर साल की भांति इस साल भी बरसात के दिनों में मछलियों के बीज डाले जा रहे हैं।यह दीगर बात है कि इस साल वैश्विक महामारी कोरोना काल के चलते हुई लॉकडाउन में पैसेंजर अथवा एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन स्थगित है। बामुश्किल सड़क मार्ग से कमोबेश यातायात किया जा रहा है जिसके कारण इस साल मछलियों के बीज जो बिहार में बंगाल से आता है पूर्ण लॉकडाउन में उसका आगमन रुक गया था,और जब आया तो यातायात शुल्क महंगे होने के चलते मछलियों के बीज का दाम भी महंगे में मिले। कजरा क्षेत्र के अनिक यादव,राजेश सिंह, नेपाली सिंह,मो अकबर अली सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि आधा बिहार जल प्लावन का शिकार हो बाढ़ की स्थिति में लोग जान-माल की रक्षा करने में लगे हैं। उनके पास रोजगार के भी साधन नहीं है जो कि नई बात नहीं है। तयशुदा है कि हर साल बाढ़ के चपेट में उत्तरी बिहार के सैकड़ों लोग जान माल गवां बैठते हैं परंतु अभी तक सरकारे बदली, सत्ता बदले, मगर अगर कुछ नहीं बदला तो उत्तरी बिहार में रहने वालों की तकदीर। उन्हें बाढ़ से जुझना नियति बन गई है। ऐसे में सरकार मछली के बीज को उपार्जन करने की तकनीक को भी उत्तरी बिहार के लोगों के बीच विकास करती तो एक और तो उन्हें रोजगार मिलता और बिहार के शेष लोगों को उचित दाम में मछलियों के बीज उपलब्ध होते। जो बरसों से इसकी व्यवस्था नहीं हो पाना विकसित बिहार के दावा करने वाले लोगों को सोचने के लिए वाध्य करती है।