तीन दिवसीय पौष पार्बन उत्सव के आखिरी दिन बाउल संगीत ने सबका मन मोहा

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चंदन पाल की रिपोर्ट

धनबाद: हीरापुर, भिस्तीपाड़ा रोड स्थित लिंडसे क्लब में मंगलवार को पौष पार्बन उत्सव का समापन समारोह संपन्न हुआ। आज उत्सव के अंतिम और समापन पर शांतिनिकेतन का बाउल संस्कृति की मंडली ने अनुपम दास के निर्देशन में बहुत ही आकर्षक कर्नप्रिया गीत संगीत पर श्रोताओं को झुमाया एवं साथ ही गाने गुनगुनाने तथा झूमने को विवश किया। लिंडसे क्लब के सभागार में शांति निकेतन के बाउल मंडली हारमोनियम में बोधन दास, दोतारा में सुकांतो दास,बांसुरी में दिलीप लोहार, तबला में सुदीप दास, मंदिरा वादन में विश्वजीत भक्तों ने देखेछी रूप सागोरे… तोमाय रिद्ध माझारे राखबो… आनंदो बा जारे चोले जाओ.. की प्रस्तुतियों ने शांतिनिकेतन की बाउल संस्कृति संगीत का अहसास दिलाया।
बाउल संस्कृति के निदेशक अनुपम दास ने बताया कि शांति निकेतन में चार पुश्तों से वह बाउल संस्कृति से जुड़े हुए हैं और पूर्वजों के साथ रविंद्र नाथ टैगोर का बाउल संस्कृति के संगीत के संबंध में परामर्श के तौर पर गहरा संबंध था। तब से वर्तमान तक देश के राज्यों एवं विदेशों में भी प्रस्तुतियां पेश कर सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।

समापन पर स्थानीय कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक गीत संगीत एवं नृत्य की प्रस्तुतियां पेश की गई।

क्लब के अध्यक्ष अमलेंदु सिन्हा ने सभी अतिथियों, श्रोताओं एवं विशेष रूप से मीडिया का पौष पार्बन उत्सव की सफलता के लिए हार्दिक समर्थन एवं सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। सचिव डी के सेन ने क्लब के सभी सदस्यों को उनके योगदान के लिए आभार वयक्त कर अगले वर्ष और भी भव्य पौष पार्बन उत्सव मनाने का शपथ लिया।

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