धनबाद के किसान ने विश्व के सबसे महंगे आम का उत्पादन धनबाद में शुरू किया

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चंदन पाल की रिपोर्ट

धनबाद: जहां एक ओर ग्रामीणों का पलायन खेती से दूर शहर की ओर हो रहा है ठीक इसके विपरीत एशिया के सबसे बड़ी श्रमिक नगरी भूली के रहने वाले रवि कुमार निषाद ने आधुनिक तरीके से आर्गेनिक खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं।

भूली आठ लेन सड़क के किनारे आरपीए फार्मिंग नाम से नर्सरी में इन्होंने कई दुर्लभ महंगे पौधे तैयार किए हैं जैसे मियाजाकी आम जो दुनिया का सबसे महंगा आम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक किलो की कीमत 2.5 से 3 लाख रुपये है। जापान के मियाजाकी आम को धनबाद की धरती पर लाकर टेस्ट किया जा रहा है यदि सफल रहा तो लोग लखपति हो सकते हैं।

इसी नर्सरी में नूरजहां आम जिसका एक-एक आम चार-पांच किलो का होता है, सोनाली आम, सफेद जामुन, सफेद चंदन ,लाल केला, लीची, कश्मीरी सेब, नाशपाती, नासिक के अनार, काजू, पिस्ता, बादाम, खीरा का पेड़, दुनिया का सबसे महंगा लकड़ी अगरऊड का पौधा जिसका लकड़ी चार लाख रुपया तक बिकता है, नागपुर का संतरा,मलेशिया साल व अन्य दुर्लभ पौधे पर यहां शोध चल रहा है। इन्होंने बंजर जमीनों को खेती युक्त बना कर फल,फूल, सब्जी व अन्य चीजों के उत्पादन कर लोगों को हैरत में डाल दिया है। अपने कार्य को मजबूती प्रदान करने के लिए इन्होंने ” जय धरती मां फाउंडेशन और रिसर्च संस्था ” के नाम से रजिस्ट्रेशन भी करवाया है जिसके अंतर्गत जिले के कई प्रखंडों में काम भी चल रहे हैं। जैसे बाघमारा के सोन्दाहा में 30 एकड़ क्षेत्र में, तोपचांची ब्लॉक के अंतर्गत चुनरियाटांड़ के 5 एकड़ क्षेत्र में , गादी टुंडी में 7 एकड़ क्षेत्र में , गोविंदपुर के 5 एकड़ में, बलियापुर के शालुकचपरा में तीन एकड़ जिसमें 200 से ज्यादा ग्रामीण काम कर कमा रहे हैं।

बाघमारा के सोनदाहा में काम करने वाली महिला धनिया देवी , विमला देवी बताती है कि गांव में ही रहकर प्रति माह खेती से हम लोग ₹8000 कमा लेते हैं, पहले शहर जाकर ₹6000 नहीं होता था, जाने आने का खर्चा अलग से होता था।

आईआईटी-आईएसएम के अटल कम्युनिटीज इन्नोवेशन सेंटर के वैज्ञानिक रहे डाँक्टर अनंत कृष्ण ने बताया कि रवि ने अपने स्टार्टअप द्वारा भूली और तोपचांची में गेंदा फूल की खेती की जिससे मैंने सुगंधित तेल, परफ्यूम, और नहाने युक्त साबुन बनाया लेकिन उसे मार्केट में लाने की एक लंबी प्रक्रिया से पहले मेरा ट्रांसफर हो गया। रवि के ऑर्गेनिक खेती की प्रतिभा को देखते हुए
आईआईटी-आईएसएम के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने इन्हें सम्मानित भी किया है।

एमएसएमई द्वारा रवि कुमार निषाद को “अंतरराष्ट्रीय गौरव अभियान” पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिल्ली में आयोजित समारोह में पद्मश्री जितेंद्र सिंह सेठी, एंटी करप्शन एंड कंट्रोल कमेटी के नेशनल हेड रोबिन प्रधान ने उन्हें यह पुरस्कार दिया।

रवि के पार्टनर रंजीत कुमार को कृषि के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए “इंटरनेशनल प्रेस्टीजियस अवॉर्ड” से नवाजा गया है।

नीति आयोग की टीम ने एग्रीकल्चर साइट पहुंच कर खेती करने के तरीके की जांच की, आर्गेनिक खेती के परिणाम को देख कर काफी प्रभावित हुए।

कोल इंडिया सीएमडी श्री पी.एम प्रसाद के हाथो से सम्मान रांची मे मिला।

4 जनवरी 2023 को नेशनल सेमिनार में मिनिस्ट्री आफॅ एमएसएमई गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा सम्मानित भी किया गया साथ ही केन्द्रीय शिक्षा मंत्री अन्नपुर्णा देवी को फल फुल उपहार स्वरूप भेंट दी गई जो धनबाद की धरती पे उगाए गये थे।

रवि फार्मिंग में आने के पीछे की कहानी बताते हैं कि वह दिल्ली में बीएससी आईटी की पढ़ाई कर अच्छी सैलरी में जॉब कर रहे थे अचानक मां की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें सीएमसी वेल्लोर ले जाना पड़ा, डॉक्टर मां को बचा न सके मौत का कारण प्रदूषण बताया। तब उसने प्रदूषण से लड़ने का प्रण किया,जिसके कारण वह अपनी नौकरी छोड़कर धनबाद चले आए और पेड़ लगाने का काम शुरू किया। साथ ही संस्था का रजिस्ट्रेशन करा ग्रामीण क्षेत्रों में समूह बनाकर आधुनिक तरीके से ऑर्गेनिक खेती करने लगे।

इनके सफलता के पीछे सहयोगी कुमार सारस्वत ,
अग्रणी पदाधिकारी-सुधीर हेम्ब्रम, समीर हेम्ब्रम, एमडी शमशेर अली (राजू),एमडी आफताब अंसारी, एमडी यूसुफ हुसेन, रूपेश महतो, बुधन हेम्ब्रम ,रामविलास बेहेरा,जी.एस.निषाद, रोहित केवट, हरि प्रसाद केवट, राज कुमार केवट, आरपीए फार्मिंग टीम एवं तरूण कुमार का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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