धनबाद के साथ नाइंसाफ़ी को लेकर माननीय वित्त मंत्री को पत्र
मनीष रंजन की रिपोर्ट
जैसे-जैसे जून की एक तारीख नजदीक आ रही है धनबाद से भारतीय स्टेट बैंक का जोनल ऑफिस के स्थानांतरण का विरोध लगातार बढता जा रहा है ।
आज उसी कड़ी में बैंक मोड़ चैंबर ऑफ काॅमर्स के सचिव श्री प्रमोद गोयल ने न सिर्फ
धनबाद ज़ोनल ऑफिस को अपेक्षाकृत कमजोर देवघर में समाहित करने की बात कही है ब्लकि धनबाद के साथ पिछले दो तीन सालों से कई सुविधाओं को छिन लिया गया है । उन्होंने पत्र में लिखा है कि
पिछले दिनों जिस तरह अचानक गुपचुप तरीके से एसबीआई ज़ोनल ऑफिस का विलय देवघर ऑफिस में करने की सूचना आईं, सारा धनबाद आश्चर्यचकित रह गया। हतप्रभ रह गया। आखिर ऐसी क्या क्या खामियां धनबाद में हुई और क्या -क्या खूबियां देवघर में दिखी कि इतने बड़े औद्योगिक क्षेत्र, खनन क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र को दरकिनार कर देवघर शिफ्ट करने का आदेश पारित किया गया। पूरे धनबाद जिले सहित आस -पास के जिलों के लोगों में काफी निराशा और हताशा छा गई है। इसके पहले पिछले दो तीन सालों से जिस तरह झारखंड की आर्थिक राजधानी के हिस्से के एयरपोर्ट, एम्स हॉस्पिटल, इंडियन ऑयल डिपो,दूरंतो एक्सप्रेस ट्रेन को धनबाद से छीनकर देवघर भेज दिया गया है तथा हमसफ़र एक्सप्रेस को मधुपुर से भाया पटना आनन्द विहार के लिए अलग ट्रेन चला दी, वह धनबाद के साथ विश्वासघात नहीं तो और क्या है? उन्होंने एक सांसद के ऊपर कटाक्ष करते हुए कहा है कि क्या एक सांसद को अनुग्रहित करने के लिए 11 सांसदों को हतोत्साहित करना उचित है? क्या झारखंड से माननीय सांसद को इतनी नफरत है कि मधुपुर से शुरू होने वाली हमसफ़र एक्सप्रेस को झारखंड की बजाय पूरे बिहार घुमाते हुए दिल्ली के लिए रूट निर्धारित किया गया। जबकि उस ट्रेन को भाया चितरंजन, धनबाद ,कोडरमा होते हुए चलाया गया होता तो झारखंड के बहुत बड़े हिस्से को दिल्ली की एक ट्रेन की सौगात मिल गई होती। धनबाद हमेशा से राष्ट्रीय एवं राजकीय स्तर पर हमेशा अपना अतुलनीय योगदान देते आया है इसकी इतनी उपेक्षा उचित नहीं है।
इसके साथ ही धनबाद में शिक्षा, स्वास्थ और हवाई यातायात की मजबूत व्यवस्था बहाल करने की भी मांग की है।