प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के लिए ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ को लोकप्रिय बनाने हेतु आध्यात्मिक गुरुओं से मदद का आह्वान किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जिस तरह से देश के स्वाधीनता संग्राम में भक्ति आंदोलन ने भूमिका निभाई थी, उसी तरह आज आत्मनिर्भरता भारत के लिए देश के संतों, महात्माओं, महंतों और आचार्यों की मदद की आवश्यकता है। वह आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जैन आचार्य श्री विजय वल्लभ सुरिश्वर जी महाराज की 151वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ के अनावरण के अवसर पर बोल रहे थे। इस अवसर पर उनके संबोधन की मुख्य बात रही सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने में धर्म और अध्यात्म का महत्व। जिस तरह से देश के स्वाधीनता संग्राम में धर्म और आध्यात्म की भूमिका रही, उसी तरह आज आत्मनिर्भर भारत के लिए इनकी महती भूमिका आवश्यक है।

जिस प्रकार आजादी के आंदोलन की पीठिका भक्ति आंदोलन से शुरू हुई, वैसे ही आत्मनिर्भर भारत की पीठिका हमारे संत-महंत-आचार्य तैयार कर सकते हैं।

हर व्यक्ति तक वोकल फॉर लोकल का संदेश पहुंचते रहना चाहिए। मैं संतों-महापुरुषों से विनम्र निवेदन करता हूं कि आइए, हम इसके लिए आगे बढ़ें। pic.twitter.com/2i0YuLvWgU— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2020

प्रधानमंत्री ने अपने ‘वोकल फॉर लोकल’ नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि भक्ति आंदोलन ने स्वाधीनता संघर्ष के लिए बुनियाद को पोषित किया था। उन्होंने कहा कि हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि संतों, महंतों, साधुओं और आचार्यों के द्वारा देश के कोने-कोने में लोगों को प्रेरित किया गया, उनकी चेतना को जगाया गया। वही चेतना आगे चलकर स्वाधीनता संघर्ष में संबल बनी।

प्रधानमंत्री मोदी ने आध्यात्मिक गुरुओं से आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने रेखांकित किया कि जिस तरह से स्वाधीनता आंदोलन की नींव को मजबूत करने में भक्ति आंदोलन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उसी तरह आज 21वीं सदी में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना को देश के संतो, महंतों और आचार्यों से मदद चाहिए। उन्होंने संतों से आग्रह किया कि वह देश के जिस भी कोने में अपने धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवचन दें, उसमें ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ के संदेश को निरंतर स्थान दें। ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ की मुहिम को संतो द्वारा प्रचारित और प्रसारित करने से बल मिलेगा। यह देश को आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर करने में सहायक होगा और देश में उसी तरह ऊर्जा का संचार होगा जिस तरह स्वाधीनता के आंदोलन में हुआ था।

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