बांग्ला उन्नयन समिति के तरफ से पूर्व सांसद कॉमरेड ए के राय की चौथी पुण्यतिथि मनायी गई

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चंदन पाल की रिपोर्ट

धनबाद : गांधी सेवा सदन में बांग्ला उन्नयन समिति की ओर से कम्युनिस्ट के काॅमरेड एके राय की चौथी पुण्यतिथि मनायी गई। एके राय जी की प्रतिमा चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। बांग्ला उन्नयन समिति के बेंगू ठाकुर ने मीडिया को बताया कि आज झारखंड बिहार समेत देश के एकमात्र ईमानदार कर्मठ जुझारू कम्युनिस्ट पार्टी एके राय जी का आज चौथी पुण्यतिथि मनाया जा रहा है। इस पुण्यतिथि के उपलक्ष्य पर झारखंड सरकार तथा केंद्र सरकार से मांग करते हैं की झारखंड के धनबाद जिले में किसी भी चौक पर एक इनकी आदम कद प्रतिमा लगाया जाए और इन्हे राजकीय मान सम्मान का दर्जा दिया जाए। केमिकल इंजीनियर के तौर पर सिंदरी आए राय दा ने अपना पूरा जीवन कोयलांचल पर न्योछावर कर दिया। कोयला मजदूरों के लिए उन्होंने कई यादगार लड़ाइयां लड़ीं। देश में आपातकाल लागू होने के बाद दादा को भी जेल में डाल दिया गया था। हजारीबाग जेल से ही वे पहली बार 1977 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीते। देश के इकलौते ऐसे सांसद रहे, जिन्होंने जीवन भर पेंशन नहीं ली। इसके पीछे की कहानी भी हमें याद रखनी चाहिए। लोकसभा में सांसदों के वेतन व पेंशन बढ़ाने का बिल आया था। तब इसका राय दा ने पुरजोर विरोध किया था। दादा ने संसद में साफ कहा था कि जनता उन्हें सेवा के लिए चुनती है, ऐसे में जनता की कमाई से क्यों वेतन या पेंशन दी जाए। संसद के अंदर उनका खूब विरोध हुआ। दादा का साथ सिर्फ एक सांसद ने दिया। बाद में जब राय दा चुनाव हार गए और उन्हें पेंशन का ऑफर हुआ तो उन्होंने लिखकर दे दिया कि वे पेंशन नहीं लेंगे। निधन तक उनकी पेंशन राष्ट्रपति कोष में जाती रही।

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