भगवान के आस्था पर विज्ञान की अहमियत भारी

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डा आर लाल गुप्ता लखीसराय
वैश्विक महामारी बना कोरोनावायरस के संभावित ख़तरे को देखते हुए जहां विभिन्न तरह के सामुहिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई है वहीं मंदिरों के दरवाजे भी सामुहिक पूजा व चढ़ावे के बंद कर दी गई है। दिनों-दिन कोविड 19के मरीज़ के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए ऐहतियात के तौर पर सरकार ने जनकल्याण के लिए कोरोनावायरस के चपेट में आने से रोकने के लिए उक्त निर्णय लिया है। जिसे हर बुद्धिजीवियों के नजरों में सराहनीय क़दम माना जा रहा है।
जिससे यह साबित होता नज़र आता है कि भगवान के आस्था पर विज्ञान की अहमियत भारी पडा है। जबकि हरेक साल सावन के आगमन के क़रीब सप्ताह भर पूर्व से हीं कांवर, कांवरिया केशरिया वस्त्रों की खरीददारी को लेकर खरीददारों की बाजार में भीड़ देखी जाती थी।जो इस बार कोरोना के दहस्त से कांवरियों का दर्शन तक दूर्लभ हो गया।सावन का पहला सोमवार में बिशेषकर देवों के महादेव माने जाने वाले , भक्तों को कल्याण करने वाले बाबा भोलेनाथ के मंदिर में श्रर्द्धालुयों की हजारों नहीं बल्कि लाखों की भीड़ देखी जाती थी।बोलबम के नारे से घर से बाजार के साथ हीं मंदिर परिसर गूंजायमान हो जाती थी।जो सब सूना पड़ा है।कोरोना के चलते हर कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को विवश हैं। ऐसा हो भी क्यों नहीं क्योंकि कोरोनावायरस अपना असर हर वर्ग के लोगों चाहे अमीर हो या गरीब, बुद्धिमान हो अथवा मूर्ख, डाक्टर हों या आम जन, धार्मिक हो या नास्तिक को अपनी चपेट में लेता है। ऐसे में ऐहतियात नहीं बरतना पहले तो अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा मूर्खतापूर्ण कार्य माना जायेगा जिसके जद में आने वाले शख्स को भी कोरोना पॉजिटिव होने के खतरे बढ़ जाते हैं।ऐसे में ऐहतियात हीं बचाव का सटीक रास्ता है। जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से सख्त निर्देशों के तहत मंदिर परिसर को बन्द रखने का आदेश जारी किया है। लखीसराय जिले के मीनी बाबाधाम में शुमार इन्द्र मनेश्वर धाम यानी अशोक धाम को भी सावन में बंद रखने का निर्णय लिया गया है। ताकि भीड़ के बहाने कोरोनावायरस का संभावित ख़तरे पर विराम लगाया जा सके।

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