भाई-बहन के बीच मजहब की दीवार नहीं होती
मनीष रंजन की रिपोर्ट
त्योहारों का देश भारत जहाँ कुछ लोग मजहब के बीच खाई बनाने का काम करते हैं तो कुछ लोग मजहब की खाई को पाटने का। ऐसा ही एक त्योहार है रुक्षाबंधन का जो सभी रिश्तों से अलग और मजबूत रिश्ता है भाई-बहन का । इस रिश्ते में इंसानियत की सबसे बड़ी भूमिका है और अगर वो दो मजहबों के बीच हो तो क्या कहना। भाई-बहन के पावन,पवित्र,अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन के अवसर पर पुराना बाजार चैंबर के पूर्व अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री सोहराब खान की कलाई पर उनकी मुँहबोली बड़ी बहन पहला कदम स्कूल की संचालिका श्रीमती अनिता अग्रवाल ने अपने हाथों से बनी राखी बांधी। उन दोनो भाई बहन ने तय किया था कि चीन की बनी राखी एवं सामानों का उपयोग नही करेंगें। सोहराब खान ने कहा कि भारतीय संस्कृति की खुश्बू है इस त्योहार में । बड़ी बहन अनिता अग्रवाल ने अपने हाथों से बनी रखी मेरी कलाई पर बांधा है। मुंहबोली बड़ी बहन का सम्मान और हर मुश्किल से सुरक्षा मेरा कर्तव्य है। बड़ी बहन अनिता अग्रवाल ने अपना पूरा जीवन दिव्यांग बच्चों के लिए समर्पित किया है। मुझे मेरी बहन अनिता अग्रवाल पर गर्व है । दूसरी तरफ अनिता अग्रवाल ने कहा कि मेरे भाई सोहराब खान एक नेक दिल और जरूरतमन्दों को मदद करने वाले इंसान है। इनका पहला धर्म इंसानियत है। सोहराब जहाँ खड़े हो जाते हैं वहाँ मज़हब की दीवार खुद -ब- खुद गिर जाती है। मुझे मेरे भाई सोहराब पर गर्व है ।