भारत ज्ञान विज्ञान समिति के 11वें राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दूसरे दिन कई विषयों पर चर्चा की गई

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चंदन पाल की रिपोर्ट

धनबाद: भारत ज्ञान विज्ञान समिति का 11 वें राष्ट्रीय परिषद के सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिनिधि सत्र की अध्यक्षता अनीता रामपाल ने की। “विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना” इस सत्र का पहला विषय था।
सत्र को सव्यसाची चटर्जी ने संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञान विज्ञान समिति और अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क के साथ मिलकर वैज्ञानिक चेतना पर मिलकर कार्य करना है, जिसका एक मसौदा पेश किया गया है, जिसके आधार पर आने वाले समय में कार्य करने की योजना है।
सत्यजीत चक्रवर्ती ने कहा कि 1980 में जन विज्ञान जत्था कार्यक्रम चलाया गया था, उस समय सरकार भी वैज्ञानिक चेतना के कार्यक्रम में सहयोग करती थी किंतु आज की परिस्थिति में वर्तमान सरकार वैज्ञानिक चेतना के प्रति गंभीर नहीं है। वैज्ञानिक चेतना के लिए आम लोगों तक पहुंचने की आवश्यकता है और विनम्रता के साथ वैज्ञानिक सोच को आगे बढ़ाने की आवश्कता है।

ब्रज भूषण मजूमदार ने कहा कि नौजवानों के बीच नशे की लत बढ़ रही है, हमें उन पर भी कार्य करने की जरूरत है।
अन्य वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय में एक नफरत का माहौल तैयार हो रहा है। यह पिछले दस वर्षों में काफी बढ़ गया है जो धर्म, खाने-पीने तथा सामाजिक भेदभाव को बांटने का कार्य कर रहा है। हमें इन सब से ऊपर उठकर कार्य करना होगा तभी वैज्ञानिक चेतना को हम ला सकेंगे। वैज्ञानिक चेतना अभियान को सफल करने के लिए आम लोगो की भाषा और संस्कृति को भी समझने की जरूरत है।

सत्र का दूसरा विषय “पर्यावरण संकट, कृषि एवं आजीविका” की अध्यक्षता श्याम बोहरे ने किया।
सत्र को संबंधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ज्ञान विज्ञान समिति का साक्षरता आंदोलन में कार्य करने के कारण देश के सुदूर ग्रामीण तक हमारी पहुंच हुई। हमें किसानों की मुख्य समस्याएं जैसे पानी की समस्या कीटनाशक दवा की समस्या का समाधान खोजना होगा। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलना मुख्य समस्या है। इसका समाधान किए बिना किसानों की दशा नहीं सुधरी जा सकती है। समाधान के लिए विस्तृत खेती, गुणवत्ता समर्धन के लिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना होगा।

पर्यावरण पर वक्ताओं ने कहा कि शहरों के सौंदर्यीकरण के नाम पर पेड़ को काटा जा रहा है जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है।

“ज्ञान विज्ञान आंदोलन और युवा” सत्र की अध्यक्षता विप्लव घोष ने किया। इस विषय पर वक्ताओं ने कहा कि युवाओं को संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। आज युवाओं के समस्याओं को हल करने के लिए अधिक से अधिक युवाओं को संगठन के साथ जोड़ने की जरूरत है। सत्र 21 जनवरी को समाप्त होगी।

वक्ताओं में आंध्र प्रदेश के श्री मुरली जी, त्रिपुरा के ब्रज गोपाल मजूमदार, झारखंड के शिव शंकर प्रसाद, रवि सिंह, विश्वनाथ सिंह, उतराखंड के विजय पटेल, मध्य प्रदेश से विजय घट, हिमाचल से ओपी बुरैटा, पश्चिम बंगाल से उर्वा चौधरी,नागालैंड से तशीवन, बिहार से रवि कांत ने सत्र को संबोधित किया।

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