महामारी हमें रोक नहीं सकती”; डॉ. हर्षवर्धन ने कोविडमहामारी के संदर्भ में स्वीडन की स्वास्थ्य मंत्री के साथ द्विपक्षीय स्वास्थ्य सहयोग पर चर्चा की
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वीडन की स्वास्थ्य और सामाजिक मामलों की मंत्री सुश्री लीना हैलेनग्रेन के साथ आज स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग पर चर्चा की। दोनों देशों के मंत्रियों ने डिजिटल माध्यम से संवाद किया।
दोनों मंत्रियों ने भारत और स्वीडन में कोविड-19की स्थिति और रोकथाम के उपायों और इसे संभालने के लिए भविष्य में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की। सुश्री लीना हैलेनग्रेन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड का अध्यक्ष चुने जाने पर डॉ. हर्षवर्धन को बधाई दी और अधिक से अधिक लोगों में कोविड संक्रमण का पता लगाने और समय रहते उनका इलाज करने के लिए परीक्षण की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत की प्रशंसा की।
डॉ. हर्षवर्धन ने भारत और स्वीडन के बीच दशकों से चली आ रही जीवंत साझेदारी पर बात करते हुए इस दौरान संयुक्त कार्य समूह स्तर पर हुई दस द्विपक्षीय बैठकों का उल्लेख किया। उन्होंने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और इस संदर्भ में आयुष्मान भारत योजना में 55करोड़ लोगों को शामिल करने, मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और 2025 तक भारत से टीबी के उन्मूलन की दिशा में की गई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक इस्तेमाल की भी चर्चा की और बताया कि किस तरह से भारत एंटीबायोटिक प्रतिरोध के क्षेत्र में शोध में अग्रणी है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड महामारी से निपटने के दौरान भारत ने जो सबक सीखा है उस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “भारत में कोविड संक्रमण से ठीक होने की दर 61 प्रतिशतसे अधिक हो चुकी है और एक अरब 35 करोड़ की आबादी वाला देश होने के बावजूद यहां कोविड से होने वाली मृत्यु दर महज 2.78 प्रतिशतहै। हर दिन 2.5 लाख लोगों का परीक्षण किया जा रहा है। चार महीने पहले जहां केवल एक जांच प्रयोगशाला थी वहीं अब देश में कोविड जांच की 1100 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं।
उन्होंने कहा “भारत की ओर से समय रहते किए गए सक्रिय उपायों से त्रि-स्तरीय कोविड स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे का सुव्यवस्थित ग्राफ बना और पर्याप्त मात्रा में बिस्तरों की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकी।”
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रकोप को एक अवसर के रूप में लिया है। ‘यह हमारे कर्मठ और दूरदर्शी प्रधानमंत्री के कारण संभव हो पाया है जिन्होंने हर स्तर पर नेतृत्व किया।’ उन्होंने कहा कि, चीन द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में दुनिया को चेताए जाने के अगले दिन 8 जनवरी से ही सरकार ने बंदरगाहों, हवाई अड्डों और सड़क मार्ग से देश में प्रवेश के सभी स्थलों पर निगरानी तंत्र के बीच समन्वय बनाया। अपनी सामुदायिक निगरानी को मजबूत किया, विस्तृत स्वास्थ्य और यात्रा सलाह जारी की और विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने तथा विदेशी नागरिकों को उनके देश भेजने का काम भी किया। डॉ हर्षवर्धन ने स्वीडन की स्वास्थ्य मंत्री को बताया कि भारत में अब प्रति दिन 5 लाख पीपीई किट बनाने वाली 100 से अधिक विनिर्माण इकाइयां हैं। देश में ने एन95 मास्क और वेंटिलेटर का उत्पादन भी शुरू हो चुका है।भारत ने100से अधिक देशों में हाइड्रोक्लोरोक्सीक्वीन दवा की आपूर्ति भी की है।
दोनों मंत्रियों ने शरद ऋतु के पहले संयुक्त कार्यदल की अगली बैठक आयोजित करने और कोरोना संकट समाप्त होने तक एक-दूसरे के साथ डिजिटल रूप से जुड़े रहने पर सहमति जताई। उन्होंने अपने-अपने मंत्रालयों में वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह आज की बैठक में जिन मामलों पर चर्चा हुई है उनका ध्यान रखें।
वार्ता के समापन पर डॉ. हर्षवर्धन ने सुश्री हैलेनग्रेन और स्वीडन के नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।