मोदी सरकार सात साल भी नहीं चला सकी 2000 के नोट

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

सात साल भी चला ना सकी 2000 का नोट मोदी सरकार, यह कहना है धनबाद जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता श्री सतपाल सिंह ब्रोका का जब रिजर्व बैंक ने आज ₹ 2000 के नोट नहीं चलने का आदेश निकाला।1000 का नोट बंद कर मोदी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए 2000 का नोट मार्केट में लेकर आई लेकिन मात्र 6 साल 6 महीने में ही सरकुलेशन से बाहर होने की ग घोषणा आरबीआई से आज शाम ढलते ही आ गई। जिन व्यापारियों, लोगों के पास 2000 के नोट है वह 30 सितंबर 2023 तक बैंकों में बदल सकते हैं वह भी सीमित संख्या में 2000 के 10 नोट ही बदल सकते हैं यानि ₹ 20000 तक। व्यापारियों, जनता को बैंक के चक्कर लगाकर नोट बदलने पड़ेंगे उन्होने कहा कि भाषण में मोदी सरकार 20 से 50 वर्षों तक का मैप योजना तैयार है करने की बात करती है। गलत नीतियों फैसलों के चलते ही नोटबंदी के वक्त लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई थी जिसके कारण जनता को लाइनों में लगकर अपनी जान गवानी पड़ी थी। उन्होने कहा कि मोदी सरकार से हम पूछना चाहते हैं कि नोटबंदी क्यों की गई लोगों की जमा पूंजी निकालकर सीधा सबसे बड़े क्रोनी कैपिटल के जेब में डाला गया। राहुल जी ने स्पष्ट रूप से उस वक्त कहा था जो आज सही प्रतीत हो रहा है। 1000 का नोट बंद कर 2000 के नोट लाने की क्या जरूरत थी। 1000 के नोट सरकुलेशन में कामयाब था। 2000 का नोट बंद क्यों? एक तरफ मोदी सरकार कैशलेस की बात करती है दूसरी तरफ आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि 2016 से अब तक 500/ 2000 के 6849 करोड़ छपे जो मोदी सरकार की असफल नीति को दर्शाता है।

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