राज्य सभा में परिवर्तन की हवा चल रही है: उपराष्ट्रपति

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सदन की उत्पादकता, विधाई कार्यों, समितियों की बैठकों में उपस्थिति में इजाफा हुआ है

श्री नायडू ने कहा कोरोना के समय जीवन में आ रहे परिवर्तनों ने उन्हें पहले के मुकाबले अधिक व्यस्त रखा

अगर राष्ट्र की आवाज़ सुनाने के लिए आर्थिक शक्ति आवश्यक है तो अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लौटाने में तेज़ी लानी होगी

2022 के लिए तथा 2030 के लिए निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रयास करने का आह्वान किया

देश के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति के रूप में श्री नायडू के तीन वर्ष पूरे होने पर प्रकाशन का लोकार्पण किया गया

उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि कोरोना महामारी के कारण विगत चार महीनों की बंदी के शुरुआती दिनों में व्यवधान के बाद इस अवधि दौरान उनकी व्यस्तता सामान्य दिनों से अधिक ही रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हो सका है कि उन्होंने जल्द ही अपने आप को रीसेट कर इस नई सामान्यता के अनुरूप ढाल लिया है।

देश के उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति के रूप में तीन वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक अवसर पर बोलते हुए श्री नायडू ने कहा कि राज्य सभा की कार्यवाही में भी परिवर्तन की बयार बहने लगी है जो विगत कुछ सत्रों में सदन की बढ़ती उत्पादकता, विधाई कार्यों में वृद्धि प्रत्यक्ष दिखती है। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य सभा की समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से अधिक रही है।

कनेक्टिंग, कोमुनिकेटिंग, चेंजिंग शीर्षक से प्रकाशन का लोकार्पण रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा उपराष्ट्रपति निवास पर आयोजित एक समारोह में किया गया। सूचना और प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुस्तक के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण का लोकार्पण किया। प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित 251 पृष्ठ की पुस्तक में विगत एक वर्ष में श्री नायडू के विभिन्न कार्यक्रमों  और समारोहों के 334 चित्र भी शामिल किए गए हैं।

श्री नायडू ने बताया कि कोरोना के कारण हुई बंदी से पहले वे प्रति माह 20 कार्यक्रमों में सम्मिलित होते थे जिनमे उन्होंने 70 जन समारोहों और 14 दीक्षांत समारोहों को संबोधित किया। उन्होंने जागा कि बंदी के जल्द ही उन्होंने नई स्थिति से समझौता कर लिया और लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए कार्यक्रमों की प्रणाली में आवश्यक परिवर्तन कर, टेक्नोलॉजी माध्यमों का भरसक प्रयोग किया जिससे लोगों से संवाद और संपर्क बना रहे। श्री नायडू ने बताया कि उन्होंने स्वयं 1600 लोगों से हरेक से,  फोन पर बात कर उनसे कुशलक्षेम जाना, सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को धैर्य और ढांढस दिया तथा निराशा की ऐसी स्थिति में उनसे अपने नियमित जीवन में कतिपय परिवर्तन कर, इस स्थिति से उबरने की सलाह दी। कोरोना से सम्बन्धित तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी लोगों को पहुंचाने के लिए, इस अवधि में 350 ट्वीट्स तथा 55 फेसबुक पोस्ट लिखे। श्री नायडू ने संतोष व्यक्त किया कि उनका यह मिशन कनेक्ट अत्यन्त उपादेय और उपयोगी रहा।

11 अगस्त, 2017 को पदभार ग्रहण करने के बाद के विगत तीन वर्षों में राज्य सभा की कार्यप्रणाली में चल रही परिवर्तन की बयार के प्रमाण दिए। श्री नायडू ने बताया कि उनके द्वारा आयोजित एक अध्ययन के अनुसार विगत 25 वर्षों में सदन की उत्पादकता में ह्रास होता गया। विगत 20 वर्षों में सिर्फ एक बार 1999 में आखिरी बार सदन ने 100 प्रतिशत उत्पादकता प्राप्त की थी।

उन्होंने बताया कि उनकी अध्यक्षता में विगत तीन वर्षों के दौरान आठ सत्रों में कुल उत्पादकता 65.5 प्रतिशत रही वो भी तब जबकि बीच में चुनावी वर्ष के दौरान तीन सत्रों में सदन की कार्यवाही गंभीर रूप से बाधित होती रही। उस वर्ष राज्य सभा की वार्षिक उत्पादकता मात्र 35.75 प्रतिशत थी जोकि सर्वकालिक न्यूनतम स्तर था।

श्री नायडू ने कहा कि उसके बाद के सत्रों में राज्य सभा की उत्पादकता ऊंचे स्तर पर बरकार रही है, 249 वें सत्र में यह 104 प्रतिशत थी, ऐतिहासिक 250वें सत्र में 99 प्रतिशत, और 251 वें सत्र में 76 प्रतिशत थी। इसके कारण 2019 में सदन की उत्पादकता 78.42 प्रतिशत रही जो कि 2010 के बाद से सर्वाधिक वार्षिक उत्पादकता है।

बढ़े हुए विधाई कार्य के निष्पादन को इस परिवर्तन का संकेत बताते हुए श्री नायडू ने बताया कि विगत तीन वर्षों में उनकी अध्यक्षता में सदन द्वारा पारित कुल 93 विधेयकों में से 60, जो कि कुल का 65 प्रतिशत है, वे आखिरी तीन सत्रों में पारित किए गए। उन्होंने कहा कि सदन के दलीय संगठन और विषय पर विभिन्न दलों के भिन्न भिन्न विचारों के बावजूद भी, राज्य सभा ने तीन तलाक़, नागरिकता संशोधन विधेयक तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित किया।

राज्यसभा की आठ विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समितियों का कामकाज उनके लिए चिंता और ध्यान का विषय रहा है, सभापति ने इस संबंध में भी सुधारों के बारे में बताया जिसे उन्होंने परिवर्तन का संकेत कहा। उन्होंने कहा कि इन समितियों की बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति पिछले एक साल (सितंबर, 2019 में पुनर्गठन के बाद से) के दौरान पहली बार 50 प्रतिशत के स्तर को पार कर गई है। 2019-20 के दौरान यह उपस्थिति 50.73 प्रतिशत रही है जबकि 2017-19 की दो वर्ष की अवधि के दौरान 42.90 प्रतिशत की औसत उपस्थिति रही थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2019-20 के दौरान कोरम के बिना आयोजित इन समितियों की बैठकों की संख्या 10.20 प्रतिशत तक नीचे आ गई, जबकि उससे पिछले वर्ष के दौरान यह 38.77 प्रतिशत थी। 2019-20 के दौरान 50 प्रतिशत से अधिक की उपस्थिति के साथ आयोजित बैठकों की संख्या पिछले वर्ष के दौरान 14.28 प्रतिशत से बढ़ कर 51.02 प्रतिशत तक हो गई।

सभापति श्री नायडू ने सदन के सभी वर्गों और नेताओं द्वारा सदन के कामकाज को बेहतर बनाने में दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। हालांकि इस संदर्भ में उन्होने सदन के कार्यात्मक समय के उस एक तिहाई भाग का भी उल्लेख किया जो पिछले आठ सत्रों के दौरान व्यवधानों के कारण व्यर्थ हो गया। उन्होने ऐसे व्यवधानो के प्रभावी समाधान का आग्रह भी किया।

2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने का जिक्र करते हुए, श्री नायडू ने सभी व्यक्तियों और संस्थानों से महात्मा गांधी और अन्य नेताओं द्वारा प्रतिपादित स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्शों का पालन करने तथा हर नागरिक से उस की आकांक्षाओं और सपनों का नया भारत बनाने के लिए अपना हरसंभव योगदान करने का आग्रह किया। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से और अधिक संकल्प शक्ति से राष्ट्र-निर्माण के लिए कार्य में शामिल होने का आग्रह किया।

 उन्होने कहा कि भारत की आर्थिक शक्ति उसे विश्व में उचित स्थान और आवाज देती है जिससे वह वैश्विक घटनाक्रम को प्रभावित कर सके। श्री वेंकैया नायडू ने सभी से सामूहिक रूप से “कोविड” महामारी के कारण हुई आर्थिक क्षति को दूर करने और देश की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।  उन्होंने 2022 तक विभिन्न क्षेत्रों के लिए निर्धारित लक्ष्यों और 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को पूर्णतः प्राप्त करने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

उपराष्ट्रपति ने सरकार की उन हालिया पहल की सराहना की जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में बाधाओं को दूर करने के लिए शासन व्यवस्था, नवाचार, और उद्यमिता मे सुधार का प्रयास किया गया है और नॉलेज सोसाइटी के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इस संबंध में नई शिक्षा नीति-2020 का ज़िक्र करते हुए, श्री नायडू ने कम से कम प्राथमिक स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कृषि को अधिक उत्पादक बनाने और किसानों को आमदनी बढ़ाने के लिए विज्ञान के उपयुक्त प्रयोग का भी आह्वान किया।

श्री वेंकैया नायडू ने स्वराज को सु-राज (सुशासन) में बदलने और सभी को विकास के लाभ पहुँचाने के अलावा शहरी-ग्रामीण अंतर को खत्म करने पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को रूपांतरित करने के सार्थक ऊर्जावान प्रयासों का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने श्रेष्ठ भारत, स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को सिद्ध करने के लिए दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया।

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