रेल मंत्रालय का धनबाद को उपेक्षित करने को लेकर रेल मंत्री को पत्र, प्रति प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को
मनीष रंजन की रिपोर्ट
धन से आबाद धनबाद जो पहले भी था और आज भी है।यहां से प्राप्त धन को केंद्र सरकार राजस्व की प्राप्ति कर रही है और उसे अन्य सेक्टरों में खर्च कर रही है लेकिन यहां की जनता को किसी भी मामले में लाभ नहीं हो रहा है। वह आज भी सुविधाओं के अभाव में रह रही है। धनबाद रेल मंडल देश का सबसे कमाऊ मंडल है पर यहां के लोगों के लिए न तो राजधानी दिल्ली के लिए सीधी रेल है और न ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और न ही बेंगलुरू के लिए। आमजन को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दिल्ली के लिए कोलकाता से दो राजधानी चलती है पर तीस लाख वाले जिले धनबाद के लिए बर्थ की संख्या घटती जा रही है। धनबाद की रेल सेवा की मनःस्थिति को धनबाद के समाजसेवी और लोकहक मानव सेवा काउंसिल के केंद्रीय उपाध्यक्ष कुमार मधुरेंद्र सिंह ने धनबाद के तरफ दोहरी मानसिकता रखने वाले रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर ईमेल कर सुविधाएं देने की मांग की है। उन्होने कहा कि धनबाद एवं गिरिडीह के सांसदों की बातों को रेल मंत्रालय तवज्जो नहीं देता है। यहां के जनप्रतिनिधियों की आवाज के प्रति केंद्र उदासीन रहता है। यहां तक की धनबाद से गुजरने वाली ट्रेनों में धनबाद कोटा भी कम कर दिया गया है। ट्रेनों को भी छीन लिया गया है। यहां के ट्रेनों को दूसरे रास्ते से ले जाया जाने लगा है। कुमार मधुरेंद्र सिंह ने धनबाद जैसे औद्योगिक शहर से दिल्ली के लिए एक सूपर फास्ट सीधी ट्रेन देने की मांग की है जो यहां से दिल्ली जाने वाले सैकड़ों लोग को आराम दे सके।
उन्होंने पत्र की प्रति ईमेल कर देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, झारखंड , सांसद, धनबाद एवं धनबाद रेल मंडल की मंडल रेल प्रबंधक को भी दी है ताकि सभी अपनी तरफ से इस मुद्दे को अमलीजामा पहनाने में तत्पर रहें।