रोग का भ्रम Hypochondrisis

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रोग का भ्रम Hypochondrisis
यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित रोगी को कोई बीमारी न होने पर भी वह सोचता है कि मैं बीमार हूं तथा मुझे कोई भयानक बीमारी है, इस कल्पना के कारण से उसका स्वास्थ्य खराब होता जाता है। इस प्रकार के नकारात्मक सोच के कारण वह मानसिक रोग को पालता रहता है और दु:खी रहता है। इस प्रकार के नकारात्मक सोच या कल्पना को ही रोग का भ्रम कहते हैं।

लक्षण :-

इस रोग से पीड़ित रोगी में और भी कई प्रकार के लक्षण होते हैं जैसे- पेट फूलना, कब्ज बनना, राक्षसी भूख लगना और कभी भूख न लगना आदि। रोगी सोचता है कि उसे कोई पुराना रोग या कोई दूसरा भयानक रोग हुआ है। वह रोग के बारे में बार-बार सोचकर चिन्ता करता रहता है जिसके कारण से उसके कलेजे की धड़कन अनियमित रूप से धड़कने लगता है तथा पतले दस्त भी आने लगते हैं। इस प्रकार के लक्षण होने पर उसे पूर्ण विश्वास हो जाता है कि कोइ न कोई भयानक रोग मुझे हुआ है।

कारण :-

कोई घटना, आलस्य, विलासिता, यकृत में किसी प्रकार का दोष और चिकित्सा की पुस्तकों में कठिन रोगों के लक्षण को पढ़कर नकारात्मक कल्पना करने से यह रोग होता है।

  1. नक्स-वोमिका- यदि किसी पुरानी बीमारी के कारण से भ्रम रोग उत्पन्न हुआ हो तो उसे ठीक करने के लिए नक्स-वोमिका औषधि की 3 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
  2. इग्नेशिया – अपने किसी रिश्तेदार या स्नेही व्यक्ति की मृत्यु हो जाने से उत्पन्न गम या धन की हानि होने के कारण उत्पन्न गम के कारण से किसी प्रकार के रोग का भ्रम हुआ हो तो इस भ्रम को दूर करने के लिए इग्नेशिया औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।
  3. आरम-म्यूर- गर्मी रोग के कारण से रोग का भ्रम हो गया हो तथा आत्महत्या करने की इच्छा हो रही हो तो ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए आरम-म्यूर औषधि की 3x मात्रा का उपयोग करना चाहिए।
  4. प्लाटिना- स्त्रियों में रोग का भ्रम उनके गर्भाश्य में दोष उत्पन्न होने के कारण से हुआ हो तो इस रोग को ठीक करने के लिए प्लाटिना औषधि का उपयोग करना लाभकारी है।
  5. कोनायम- संभोग क्रिया करने के समय में यदि कोई स्त्री पुरुष के इन्द्रिय (लिंग) से डर गई हो और पुरुषों के साथ रहने की इच्छा न हो तो उसके इस डर को खत्म करने के लिए कोनायम औषधि की 3 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
  6. आर्स- रोगी को रोग का भ्रम होने के साथ ही शरीर में अधिक कमजोरी महसूस हो रही हो तथा किसी भी काम को करने में असमर्थता हो, सारे शरीर में जलन होने के साथ ही दर्द हो, जीभ लाल तथा प्यास अधिक लग रही हो तो रोगी की इस अवस्था में उपचार करने के लिए आर्स औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।
  7. हायोसायमस- यदि किसी रोगी का एक ही विषय पर मन लगा रहना जैसे- रोगी हमेशा सोचता हो कि गर्मी या कोई दूसरी न ठीक होने वाली बीमारी मुझे हुई है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हायोसायमस औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
  8. वैलैरियाना- रोगी को रोग का भ्रम होने के साथ ही विर्षम भाव हो, उत्तेजना हो, स्नायुविक कमजोरी अधिक हो, नींद न आ रही हो तथा मानसिक रोग हो तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए वैलैरियाना औषधि का उपयोग कर सकते हैं।

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