लिपिकों के वेतन से 24 किस्तों में रुपये वसूल किए जाएंगे।

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कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफ) में कोयला मंत्रालय के आदेश के बिना ही 455 लिपिकों को सातवां केंद्रीय वेतनमान पर प्रोन्नति दे दी गई। सतर्कता विभाग ने जब अपने स्तर से जांच की तो इसका खुलासा हुआ। प्रबंधन ने जब इससे संबंधित फाइल अनुमति के लिए मंत्रालय को भेजी तो मंत्रालय ने इन लिपिकों से राशि वापस लेने का आदेश दिया।

प्रोन्नत लिपिकों के वेतन से अगस्त 2020 से राशि की कटौती भी शुरू हो गई है, लेकिन तब तक लिपिकों को मई 2017 से जून 2020 तक वेतनवृद्धि का लाभ मिल गया था। इन लिपिकों के वेतन से 24 किस्तों में करीब छह करोड़ रुपये वसूल किए जाएंगे। मामला पकड़ में आने के बाद अब सीएमपीएफ को हर साल दो करोड़ रुपये की बचत होगी। सीएमपीएफ के ये लिपिक देश के 23 क्षेत्रीय कार्यालयों में कार्यरत हैं।

सीएमपीएफ का मुख्यालय धनबाद में है। जानकारी के मुताबिक प्रोन्नति के साथ वेतनवृद्धि का लाभ मिलने से कर्मचारियों को आर्थिक लाभ भी हुआ था। उन्हें बकाया एरियर का भुगतान भी किया गया था। जब आडिट शुरू हुई तो यह राशि करीब छह करोड़ तक पहुंच गई। आडिट रिपोर्ट में भी आदेश नहीं होने की बात सामने आई।

इनमें धनबाद के 202, आसनसोल के 50 और रांची के 91 लिपिक भी शामिल हंै। केंद्रीय वेतनमान के तहत 2016 अप्रैल के पहले ही इसका लाभ लेना था, लेकिन सीएमपीएफ ने कट आफ डेट को दरकिनार करते हुए वेतन समझौता सात के तहत पे रिवाइज कर प्रोन्नति देते हुए वेतनवृद्धि दे दिया। अगर यह लाभ दिया भी गया तो कोयला मंत्रालय से अनुमति लेनी चाहिए थी, जो प्रबंधन ने नहीं लिया।

कहां के कितने लिपिक

धनबाद – 202

आसनसोल 50

रांची 91

हैदराबाद 20

दिल्ली 06

काठगोदाम 04

देवघर 05

मारगेटा 07

संबलपुर 30

गोदवरी खनीक 40

गलत ढंग से सीएमपीएफ लिपिकों को वेतनवृद्धि का लाभ मिल गया था। मामला पकड़ में आने के बाद उन सभी से राशि वसूल की जा रही है। अनिमेष भारती, आयुक्त, सीएमपीएफ

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