वसंत के प्रादुर्भाव से महक उठी फिजाऐं

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डा आर लाल गुप्ता लखीसराय
वसंत के प्रादुर्भाव से फिजाऐं महक महक रही है।
वेशक खेतों में लगे तेलहन,दलहन व अन्य फसलें पककर खलिहान में चला गया है जिससे हरे-भरे खेत सूने सूने लग रहे हैं। इसके उलट बागों में आम के मंजर, महुआ के फूल सहीत विभिन्न किस्मों के फूलों से धरती श्रृंगामयी हो उठे हैं। इनके फूलों की खुश्बू फिजां में छाने से वातावरण सुगंधित हो महक उठी है जिससे बरबस वसंत का आगाज होने का प्रमाण पेश कर रहा है।
वसंत के महिमा मंडित को लेकर अनेकों छायावादी कवियों सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी सहित दर्जनों कवियों ने अपने कवितायों के माध्यम से वर्णन किया है। परन्तु कुदरत के इस अनुपम उपादान में शुमार वसंत ऋतु का सच्चा अहसास तो इन बागो को सैर करने पर हीं संभव है। जहां एक ओर गर्मी जोरों की है धीरे धीरे पारा उपर चढ़ने को बेताब है ऐसे में फूल फल से लदे शीतल मन्द सुगन्ध से लबरेज हवायों का लुत्फ वहीं उठा सकता जो इन बागों के करीब जा सके।

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