सरकारी कर्मचारी यूनियन नेताओं के काम की पारदर्शिता उजागर करने के लिए कदम उठाने को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

सरकार के वैसे कर्मचारियों का जो कंपनी में अपने-अपने यूनियन क प्रतिनिधित्व करते हैं उनका अपने कंपनी के प्रति उदासीनता को लेकर आमजनों के जेहन में एक सवाल गूंजता रहता है कि आखिर ये तथाकथित नेता बगैर काम किये मोटी तनख्वाह उठाते हैं। सरकार को वैसे नेतृत्वकर्ता नेताओं को भी काम के प्रति समर्पण एवं जिम्मेवारी को ढंग से नहीं निभाने के लिए कड़े प्रावधान की आवश्यकता को कडायी से लागू करने की जरूरत है।
आज इसी सिलसिले में धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता एवं केन्द्रीय उपाध्यक्ष मानव अधिकार अपराध एवं भ्रष्टाचार विरोधी संगठन के कुमार मधुरेन्द सिंह ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को पत्र लिखकर ईमेल किया है जिसमें उन्होंने कमिटी और युनियन नेताओं के कार्य के समय सारिणी में पारदर्शिता के लिए कानून लाकर समान वेतन, समान काम वाले रूल्स के पालन करने के नियम की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि
चाहे वो केन्द्र सरकार के विभाग हों या राज्य सरकार के विभाग, वहां के संबधित ट्रेड यूनियन के नेता को दिऐ जाने वाले सरकारी सहयोग और नौकरी ना करने के छुट मे क्या नियम है। इस में पारदर्शिता जरूरी है। जिससे यह पता चले कि वो युनियन के कार्य करने से पहले अपने जिस पद पर है वहां अपना समुचित पाली में कार्य करने के बाद ही युनियन का कार्य करें।
अगर कार्य करने की सरकार या कोर कमेटी के सदस्य होने पर छुट है तो उसे आमजनमानस के लिए स्पष्ट करें। कार्य मे वो नेता कोताही ना बरते और केवल हाजिरी बनाकर मासिक वेतन ना उठायें। सरकारी गाडिय़ों को निजी इस्तेमाल में न लायें। औधोगिक शहर धनबाद के कोयला क्षेत्र, निगम , बिजली एवं अन्य संस्थाओं मे इसका दुरुपयोग खुलेआम कर रहे हैं।
उन्होंने सरकार एवं सरकारी संस्थाओं से पारदर्शिता लाने के लिए इस पत्र की प्रति
माननीय मुख्यमंत्री, झारखंड,उपायुक्त, धनबाद,
नगर आयुक्त,धनबाद, चेयरमैन, बीसीसीएल, धनबाद
महाप्रबंधक, झारखंड विधुत वितरण निगम लिमिटेड,धनबाद को भी दी है।

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