सुलीईश गेट में सुधार के बाद भी गडखै नदी में मछलियों की कमी

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डॉआर लाल गुप्ता लखीसराय
गंगा नदी के घटक गडखै नदी में निस्ता गांव के बांध पर पूर्व में लगे दोषपूर्ण स्लुईश गेट को सरकार द्वारा सुधार कराया गया है। जिससे गंगा नदी में जल स्तर बढ़ने के बाद गडखै नदी में पानी का बहाव होता है। परन्तु माकुल पानी का बहाव नहीं होने के कारण बरसों से भरे जलकुंभी एवं नदी के तल में बैठे कीचड़ की सफाई नहीं हो पाया जो मछलियों के पनपने का प्रतिकूल स्थितियां हैं। जिससे पूर्व की तरह वर्तमान में भी मछलियों की कमी है। हालांकि मछुआरे के नीजी प्रयास से नदी में बहुतायत मात्रा में फैले जलकुंभी को काफी मशक्कत से कुछ हद तक निकाल पाये हैं। परन्तु कोनीपार स्थित लोहा पुल से भवानीपुर गांव तक फैले सघन मात्रा में जलकुंभी पहले के तरह हीं फैले हैं जिससे वहां मछली पकड़ने के लिए जाल डालना भी संभव नहीं हो पाता।और जल प्रदुषित होते रहता है।कोनीपार निवासी सधवा सहनी, राजेन्द्र सहनी, मंटू सहनी सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि सरकार के मदद से नदी की कुछ हद तक साफ सफ़ाई व खुदाई की गई थी। परन्तु बढ़ते जलकुंभी की स्थिति से सघन सफ़ाई की आवश्यकता है।
मछलियों के कम आमद से मछुआरों का भुखमरी की स्थिति
बताते चलें कि गडखै नदी में मछली पकड़ने के पेशे से नदी के किनारे बसे गांव खाडपर,लक्ष्मीपुर,
माणीकपुर,कोनीपार के अच्छी-खासी मल्लाह व गोहरी जाति के लोग हैं। मछलियों की कमी से कुछ लोग तो परदेश मेहनत मजदूरी कर जीवकोपार्जन के लिए चले गए थे। जो लाकडाउन में परदेश में भी काम नहीं मिलने के कारण घर वापस चले आए हैं जिन्हें रोजगार की जरूरत है। नदी में मछलियों की कमी के कारण बहुसंख्यक लोगों के बीच भुखमरी की स्थिति छा गई है।
नौका विहार हुईं अतीत की कहानी
गडखै नदी में यहां के लोग नौका विहार कर खुब मस्ती करते थे। बिषेशकर बरषात के दिनों में जब नदी जल प्लावित हो जाती थी।तो नौकाओं में लाउडस्पीकर बांध जहां पुरुषों की टोली किर्तन-भजन करते कोसों का रात भर सैर कर मौज मस्ती करते थे वहीं महिलाओं की टोली सोहर व कजरी की आंचलिक गीतों के गायन से खुद आह्लादित तो होती हीं थी वातावरण को भी संगीतमयी बना डालती थी। नौका विहार से सामाजिक समरसता की सुखद स्थिति होती थी।जो नदी में जलकुंभी का साम्राज्य रहने से नौका विहार भी बंद पड़ा है। जिससे क्षेत्र में सामाजिक समरसता का भी अभाव देखा जा रहा है। सरकार के द्वारा उक्त नदी पर ध्यानाकर्षण होने से लोगों को उत्साह हुआ है कि चरणवद्ध तरीके से ही सही नदी पुर्व की तरह साफ़ होंगे जिसमें माकुल मछलियां होगी, लोगों को रोजगार मिलेगा एवं नौका विहार क्षेत्रीय भाषा में झिंझेर का लुत्फ उठाया जा सकेगा।

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