सुशांत की आत्महत्या

0

सुशांत की आत्महत्या

आपका कोई प्रिय आत्मघाती सुशांत नही बने, इसके लिए अपने बच्चों को धर्म ओर इतिहास की शिक्षा देना शुरू कीजिए ।
अगर अभिनेता सुशांत में धर्म का थोड़ा बहुत भी स्थान होता, तो वह कभी भी शर्मिंदा नही होता, वह खुद की उपलब्धि पर गर्व करता, बिहारी होने पर गर्व करता। ऐसा नही है कि उससे ज़्यादा गौरवशाली और कुछ नहीं, क्यों कि यहां एक ब्राह्मण चाणक्य पूरी सत्ता पलट देता है, कृष्ण किसी क्षत्रिय या ब्राह्मण के घर नही पलते, बल्कि एक ग्वाले को जीवन का सबसे सुखद क्षण बालपन देते है, ओर उनके यहां ही पलते बढ़ते है ।

1• अपने बच्चे को श्रीराम की शिक्षा दीजिये, एक राजकुमार युवराज और भावी राजा होकर उनको वन वन भटकना पड़ा पर जीवन को जीता। लेकिन हर संघर्ष के बाद वह ओर ज़्यादा मजबूत हुए,आत्महत्या नही की ।

2• श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव जी तो राजा थे, लेकिन कंस ने उन्हें कालकोठरी में डाल दिया, एक राजा के लिए बिना किसी अपराध के कारावास भोगने से ज़्यादा दुखदायी और क्या हो सकता है ? लेकिन उन्होंने जीवन से हार नही मानी ,और भारत को कितना सुनहरा भविष्य श्रीकृष्ण के रूप में दिया।

3• श्रीकृष्ण से ज़्यादा संघर्षमयी जीवन किसका था ? 8 साल की उम्र में कंस के विरूद्ध संघर्ष की शुरुआत हुई, और जीवन के अंतिम क्षण तक रही, महाभारत का युद्ध भी कौरव और पांडव दोनो नहीं चाहते थे, क्यों कि कौरव के पास सब कुछ था, इसलिए उन्हें युद्ध की क्या जरूरत थी ? और पांडव सन्यासी प्रकृति के थे, वह तमाम दुख झेलने को तैयार थे, लेकिन युद्ध नही चाहते थे । कृष्ण का विरोध खुद उनके भाई बलरामजी ने भी किया । धर्मज्ञ श्रीकृष्ण को कितना संघर्ष करना पड़ा होगा ? आज कोई भी आदमी मामूली तनाव में डिप्रेशन में चला जाता है, लेकिन कृष्ण उस डिप्रेशन के समय में भी बांसुरी बजाते, नाचते गाते ।।

4• अर्जुन और पांचों भाइयों से ज़्यादा दुःखमय जीवन और किसका था ? पिता का साम्राज्य को अपने ही लोगों ने कब्जा कर लिया, उल्टे उनकी हत्या की बार बार साजिश रची गयी, प्राण से प्यारा अभिमन्यु मारा गया, लेकिन पांडवों ने हिम्मत नही हारी, ओर विश्व को जीता ।।

5• विक्रमादित्य जब युवा भी नही हुए थे, तभी मालवा पर शकों का इतना भंयकर आक्रमण हुआ, की उनके पास राज्य तो क्या, सेना के नाम पर मात्र उनका एक मित्र बचा, लेकिन हार नही मानी, और अंत मे विश्वविजेता बने ।

6•राजा हरिश्चंद्र की कहानी तो आप सभी जानते ही है, वह राजा से रंक बन गए, लेकिन हिम्मत नही हारी, ओर फिर से उन्हें राजपाट मिल गया ।

आत्महत्या यह मानस रोग है । मन की कायरता की पराकाष्ठा होती है तभी आदमी आत्महत्या का विचार करता है तो उस समय भगवान को पुकारो, किसी सबसे अपने को याद करो।

अगर बनानी है तो यादें बना,
बातें बनाने के लिए लोग हैं ।
प्यार करना है तो खुद से कर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *