स्वरचित काव्य “युवा दिवस” पर निर्मल की लेखनी से प्रस्तुत है ।

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युवा जाग जाओ जवानी में

बदल दो दीनता के दिन को
सुख-समृद्धि की निशानी में ।
युवा जाग जाओ जवानी में ।।

जगाओ जज्बा, जुनून, अपनी जीवन की कहानी में
युवा जाग जाओ जवानी में ।।

संस्कृति, मनोवृति, जागृति, प्रवृति
प्रवल होती है केवल जवानी में
युवा जाग जाओ जबानी में ।।

बदल दो अपने को इस बदलते बदहाल युग में,
बनकर श्रमशील रख ले ईंट व पत्थर अपने पेशानी में,
युवा जाग जाओ जवानी में ।।

कर ले अर्जित संपदा व सम्मान
अपने जन जन की जवानी में
युवा जाग जाओ जवानी में ।।

चीरकर सीना हिमालय का
जागते रहो अपनी मातृभूमि की निगरानी में ।।

वक्त पड़े तो जीवन अर्पण कर दो
अपनी ही माँ की परछाई में
युवा जाग जाओ जबानी में ।।

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