हास्य व्यंग्य होली विशेषांक रंगोर नामक पुस्तिका का लोर्कापण

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डा आर लाल गुप्ता लखीसराय

केकरे हाथे कनक पिचकारी, केकरे हाथ अबीरा, अवध मां होली खेलैं रघुवीरा

जिले के मुख्य बाजार स्थित नया बाजार होटल भोले शंकर में शुक्रवार को लखीसराय सांस्कृतिक मंच के तत्वाधान में हास्य व्यंग्य होली विशेषांक रंगोर नामक पुस्तिका का लोर्कापण , सार्वजनिक होली मिलन समारोह एवं महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन बड़े घूमधाम से किया गया। फाग की विशेष महफिल कार्यक्रम चार भागों में विभक्त किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार ने किया।
बहीं मंच संचालन कांग्रेस जिला प्रभारी अध्यक्ष अरविन्द कुमार ने की।

सर्वप्रथम कड़ी में युवा पत्रकार रंजीत सम्राट द्धारा संपादित हास्य व्यंग्य होली विशेषांक रंगोर नामक पुस्तिका का लोर्कापण मुख्य अतिथि बुजुर्ग कवि दयाशंकर सिंह बेधडक, दशरथ महतो,राजेन्द्र कंचन , भोला पंडित, राजेश्वरी प्रसाद सिंह के संयुक्त रूप से द्धारा किया गया । इस लोर्कापण समारोह में स्थानीय पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इस अबसर पर जदयू नेता रामानंद मंडल, राजद नेता लक्ष्मण साह, एआईवाईएफ राज्य सचिव रोशन कुमार सिन्हा,प्राईवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन बेलफेयर एसोसिएशन के सचिव शिक्षक नेता रंजन कुमार ,
पत्रकार मनोज कुमार, विश्वनाथ गुप्ता, विजय झा, सुनील कुमार, कुमार हिमांशु, संतोष कुमार पाण्डेय,चंदन कुमार मिश्रा, अमलेश पाण्डेय, संतोष गुप्ता ,लाल बहादुर शास्त्री, कृष कुमार ,सिकंदर विधार्थी, रामायण सिंह राजपूत, अजीत कुमार, राजेश वर्मा, चांद किशोर यादव, सुधाकर पाण्डेय, सहित विभिन्न समाज जनप्रतिनिधियों सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
समारोह मे रंगोर के संपादक रणजीत कुमार सम्राट ने कहा कि सांस्कृतिक गरिमा से मंडित होली पारस्परिक त्याग ,सहयोग, प्रेम और आत्मशक्ति की नींव पर अधारित हास्य व्यंग्य होली विशेषांक रंगोर एक संदेश देता है जो जीवन को बहुरंगी विधाओं से जोड़कर समाज में शान्ति-स्नेह और सदभाव का वातावरण बना रहे। होली भी रंग-गुलाल से सराबोर होती है और हंसी-ठिठोली, गीत-संगीत, रंग-राग की भी खास कशिश होती है पर इस हुलास में कहीं मर्यादा का अतिक्रमण नहीं होता बल्कि भक्ति की संजीदगी होती है। जिलेबासीयों से आपसी भाईचारा, सौहार्द वातावरण में एकता और अखण्डता को बरकारार रखते हुए होली शान्ति से मनाने की अपिल किया ।

तीसरे कड़ी में सूबे बिहार के प्रसिद्ध लोक गायक रविन्द्र भारती ने होली के गीत -केकरे हाथे कनक पिचकारी, केकरे हाथ अबीरा, अवध मां होली खेलैं रघुवीरा गाकर लोगों के मन मोह लिया । होली गीतों में अवध की फिजा़ का भी सुदंर परिचय देते हुए- चढ़त फगुनवा बउर गए अमवा अउर महुआ, झूम-झूम गांवय सब मगन फगुआ गाने के बाद लोगों के वाह-वाही वटोरे। संक्रमण से बचाव के ध्यान रखते हुए सोशल डिस्टेंस नियम का पालन करते हुए लोगों ने मंच के सामने रंग-गुलाल उड़ाते हुए नाचने लगे । मानो ऐसा प्रतित हो रहा था कि इन्द्रधनुषी गगन धरती पर आ गया हो। होली का हुलास शबाब पर था। पंजाबी ढोल व तबला की थाप पर बजते होली गीतों पर सभी झूमते रहे। लोगों ने रंग-बिरंगे परिधानों में एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते रहे।

तीसरे कड़ी में हास्य-व्यंग्य कवि परमेश्वरी सिंह अनपढ़, दशरथ महतो, दयाशंकर सिंह बेधड़क, प्रो0 शिवशंकर मिश्र, राजेश्वरी सिंह, महेंद्र मिश्र,भोला पंडित ने बारी-बारी से अपनी रचनाओं को सुनाकर होली की रसफ़ुहार से लोगों को भींगाते रहे।

अंतिम कड़ी में महामूर्ख सम्मेलन की शुरूआत किया गया जिसमें सभी मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों को फ़ल-फ़ुल का माला पहना कर उन्हे लंठाधिराज, महामूर्खाधिराज, मुर्खापति, मुर्खानंद आदि से विभुषित किया गया। उन्हे उपहार के तौर पर सिन्दुर, टिकुली, चुड़ी, लहठी, आईना देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम को देखकर लोग लोटपोट हो गए। उन्हे उनके सालोंभर के कार्यकलाप को ध्यान रखतेहुए टाईटिल देकर सम्मेलन में बूरा ना मानो होली है कहकर विदा किया गया।

शहर के अन्य प्रबुद्धजन एवं समाज के हर तबका ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम की सफ़लता के लिए आयोजक रंजीत सम्राट, अरविन्द कुमार एवं इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार की भूमिका अहम रहा। इस अवसर पर जिले के प्रवुद्धजन पत्रकार बन्धु, सभी राजनैतिक संगठन के सदस्यगण्, व्यवसायी, एवं आमजनों ने होली मिलन में हास्य-व्यंग्य कविताओं का जमकर आनंद उठाये।

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