प्रदूषण को देखते हुए छोटे जेनरेटर को ध्वनि रहित बनाने के संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र
मनीष रंजन की रिपोर्ट
धनबाद जो देश की कोयला राजधानी के रूप में मशहूर है तथा यह झारखंड की आर्थिक राजधानी के रूप में भी चर्चित है तो यह स्वाभाविक ही है कि यहाँ का प्रदूषण स्तर एक सीमा से ज्यादा होगा ही। अभी हाल के सर्वेक्षण में यह साबित भी हो गया है कि धनबाद देश के सर्वाधिक प्रदुषित शहरों में से एक है।इसी संदर्भ में आज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने देश के सर्वाधिक प्रदुषित शहरों में से एक धनबाद में भी ग्रीन पटाखों के छोडने की इजाजत दी है तथा इसके लिए समय सीमा भी तय की गई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ पटाखों के छोडने से ही प्रदूषण फैलेगा, आम दिनों चलने वाले छोटे जेनरेटरों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण नहीं फैलता।
आज इसी सिलसिले में स्थानीय दैनिक में प्रकाशित खबर को ध्यानाकर्षित करते हुए धनबाद के सामाजिक कार्यकर्ता एवं केन्द्रीय उपाध्यक्ष मानव अधिकार अपराध एवं भ्रष्टाचार विरोधी संगठन के कुमार मधुरेन्द सिंह ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री आर एन चौधरी के द्वारा दिए गए ब्यान के आधार पर उन्हें पत्र लिखकर ईमेल किया है जिसमें उन्होंने यह भी कहा है कि आने वाले दिनों में झारखंड स्थापना दिवस पर धनबाद सहित पुरे राज्य में हर चौक चौराहे को सजाने के लिए छोटे जेनरेटर से ही पावर दी जायेगी जिससे हर जगह वातावरण में प्रदूषण फैलेगा। कुमार मधुरेन्द सिंह ने अपने सुझाव में कहा है कि सरकार को छोटे जेनरेटरों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए एवं साउंड लेस जेनरेटर के उपयोग का आदेश देना चाहिए।
उन्होंने इस पत्र की प्रति झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन सहित प्रधान सचिव, झारखंड एवं धनबाद के उपायुक्त को भी ईमेल कर जानकारी दी है।