निर्वाचन आयोग ने असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों के सन्दर्भ में सामान्य पर्यवेक्षकों, पुलिस पर्यवेक्षकों और व्यय पर्यवेक्षकों के लिए विवरण बैठक आयोजित कीP

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भारत निर्वाचन आयोग ने आज असम, केरल, पुदुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की विधानसभाओं के आगामी आम चुनाव में तैनाती के क्रम में पर्यवेक्षकों के लिए विवरण बैठक आयोजित की। 26 फरवरी, 2021 को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। 1650 पर्यवेक्षकों ने आज लगभग 120 से अधिक दूरस्थ स्थानों से, भौतिक व वर्चुअल रूप में विवरण बैठक में भाग लिया। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस और अन्य केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों को तैनात किये जाने वाले सामान्य पर्यवेक्षकों, पुलिस पर्यवेक्षकों और व्यय पर्यवेक्षकों में शामिल किया गया है।

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पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा ने कहा कि पर्यवेक्षक, भारतीय लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण पथप्रदर्शकों में से एक हैं। श्री अरोड़ा ने कहा कि सितंबर 2017 से चुनाव आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान, वे 14 राज्यों की विधानसभाओं और 2019 के लोकसभा चुनावों से जुड़े रहे हैं, जिनमें पर्यवेक्षकों ने चुनाव-संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कोविड की व्यापक चिंताओं के बावजूद बिहार के सीईओ और डीईओ द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्य को रेखांकित करते हुए श्री अरोड़ा ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव शाब्दिक अर्थ में भारतीय चुनाव के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गया है। यहां तक ​​कि बिहार में पिछले विधानसभा और संसदीय चुनावों की तुलना में मतदाताओं की भागीदारी भी अधिक रही। श्री अरोड़ा ने कहा कि चुनावों का सफल आयोजन, हमेशा से क्षेत्र में तैनात  अधिकारियों और चुनाव आयोग का संयुक्त प्रयास होता है, जिसमें पर्यवेक्षक और विशेष पर्यवेक्षक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनावों के दौरान, पुलिस बलों के यादृच्छिककरण और तैनाती में पर्यवेक्षकों की अतिरिक्त भूमिका होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की सहनशीलता इस तथ्य में निहित है कि ‘आम आदमी’ सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। चुनाव आयोग का उद्देश्य सशक्त, सतर्क, अच्छी तरह से सूचना प्राप्त और सुरक्षित मतदाता सुनिश्चित करना है। उन्होंने पर्यवेक्षकों को याद दिलाया कि उन्हें नागरिकों की पहुँच में और सुलभ होना चाहिए और उन्हें नागरिकों को निडर होकर मतदान करने के लिए सक्षम बनाना चाहिए। उन्होंने पर्यवेक्षकों को चेतावनी दी कि यदि किसी पर्यवेक्षक को अपने कर्तव्यों के पालन में ढिलाई बरतने का दोषी पाया जाता है, तो चुनाव आयोग तेजी व सख्ती से कार्रवाई  करेगा। चुनाव आयोग जानबूझ कर किये गए किसी भी चूक को बर्दाश्त नहीं करेगा। श्री अरोड़ा ने पर्यवेक्षकों से कहा कि वे वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और महिला मतदाताओं के लिए नियत सुविधा की जाँच करने हेतु मतदान केन्द्रों का दौरा करें, ताकि समावेशी चुनावों के सिद्धांत के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता सुनिश्चित की जा सके।  

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चुनाव आयुक्त श्री सुशील चंद्रा ने कहा कि आगामी चुनावों में, 18 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। एक-दूसरे से आवश्यक  दूरी बनाए रखने से सम्बंधित मानदंडों को ध्यान में रखते हुए 80,000 से अधिक अतिरिक्त मतदान केंद्रों को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पर्यवेक्षकों द्वारा क्षेत्र स्तर के अधिकारियों के लिए उचित निर्देश सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि चुनाव आयोग के संवैधानिक जनादेश को निष्ठापूर्वक पूरा किया जा सके। उन्होंने पर्यवेक्षकों से सक्रिय हस्तक्षेप और उपस्थिति का आह्वान किया,  जिससे विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में मतदाताओं के बीच विश्वास कायम किया जा सके। पर्यवेक्षकों को सभी प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग से धन-बल, शराब और मुफ्त की चीज़ों पर रोक लगाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए। श्री चंद्रा ने जोर दिया कि पर्यवेक्षकों को इन चुनावों को पूरी तरह से प्रलोभन मुक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

अधिकारियों को संबोधित करते हुए, चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार ने पर्यवेक्षकों को याद दिलाया कि उनके स्वयं के आचरण पर लोगों, मीडिया और राजनीतिक संस्थाओं का ध्यान होगा। पर्यवेक्षकों को असाधारण आचरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी कीमत पर चुनाव की वैधता और पवित्रता कायम रखी जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वसनीयता को स्थापित करने के लिए पर्यवेक्षकों तक आसान पहुँच, उनकी उपलब्धता तथा किसी मामले पर प्रतिक्रिया की समयबद्धता व गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। श्री कुमार ने कहा कि पर्यवेक्षकों के साक्ष्य आधारित रिपोर्ट कई बार चुनाव आयोग के फैसले का आधार बन जाते हैं। श्री कुमार ने कहा कि पर्यवेक्षकों को जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी कानूनी प्रावधानों, निर्देशों और चुनाव आयोग के नवीनतम परिपत्रों की जानकारी रखनी चाहिए।

आज आयोजित, आधे दिन के विवरण सत्र में चुनाव योजना, सुरक्षा प्रबंधन और एसवीईईपी पहलुओं पर चुनाव आयोग के महासचिव श्री उमेश सिन्हा द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। श्री सिन्हा, जो चुनाव आयोग में तमिलनाडु राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, पुदुचेरी के चुनाव प्रभारी भी हैं, ने अधिकारियों को तमिलनाडु और पुदुचेरी के विशेष मुद्दों के बारे में जानकारी दी। वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग में असम के चुनाव प्रभारी श्री धर्मेन्द्र शर्मा ने असम में कार्मिक प्रशिक्षण और इनपुट पर संक्षिप्त जानकारी दी। उप चुनाव आयुक्त श्री सुदीप जैन ने मतदाता सूची के मुद्दों और आईटी अनुप्रयोगों तथा ईवीएम वीवीपीएटी प्रबंधन प्रणाली पर विवरण प्रस्तुत किया। श्री जैन द्वारा केरल और पश्चिम बंगाल चुनाव के विशेष मुद्दों के बारे में भी जानकारी दी गयी। कानूनी मुद्दों, एमसीसी और व्यय की निगरानी के बारे में ​​उप चुनाव आयुक्त श्री चंद्र भूषण कुमार और व्यय निदेशक श्री पंकज श्रीवास्तव द्वारा संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की गयी। चुनाव आयोग की प्रवक्ता श्रीमती शेफाली शरण द्वारा अधिकारियों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियों,  पेड न्यूज तथा सोशल मीडिया के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी गयी।   

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इन आगामी चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं को डाक से मतदान करने की सुविधा का विकल्प दिया है, जो दिव्यांगजन (पीडब्लूडी) हैं; 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता हैं; अधिसूचित आवश्यक सेवाओं में कार्यरत हैं या सक्षम प्राधिकारी द्वारा कोविड – 19 पॉजिटिव / संदिग्ध प्रमाणित हैं तथा क्वारंटाइन (घर / संस्थागत) हैं। कोविड – 19 सुरक्षित चुनाव के लिए, आयोग के व्यापक दिशानिर्देशों का पालन सभी व्यक्तियों द्वारा पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान किया जाना चाहिए। इन दिशानिर्देशों में शामिल हैं – सहायक मतदान केंद्रों की संख्या में वृद्धि; सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग; सैनिटाइजर और मास्क का उपयोग; मतगणना के दौरान उपयोग किये जाने वाले टेबुलों के लिए पर्याप्त जगह के साथ बड़े हॉल; मतदान कार्मिकों के आवागमन के लिए वाहनों की पर्याप्त संख्या; सुरक्षाकर्मियों द्वारा  कोविड – 19 दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाना तथा निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मियों के लिए टीकाकरण आदि।     

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