धरती से टकराया ऐस्टरॉइड तो आएगी तबाही, आपातकालीन प्लान बनाने के लिए जुटेंगे विशेषज्ञ
Asteroid News: दुनियाभर के वैज्ञानिक इस महीने की आखिर में वियना में बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में धरती पर ऐस्टरॉइड के टकराने के खतरे के बारे में चर्चा होगी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर ऐस्टरॉइड धरती से टकराता है तो शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा।
हाइलाइट्स:
- धरती से ऐस्टरॉइड के टकराने की आशंकाओं के बीच विशेषज्ञों ने दुनिया को आगाह किया है
- उन्होंने कहा कि इससे न केवल तबाही आएगी बल्कि विश्वभर में शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा
- बड़ी संख्या में लोग यूरोप को छोड़कर एशिया और प्रशांत महासागर की ओर जा सकते हैं
इसी खतरे को देखते हुए अंतरिक्ष विशेषज्ञ इस महीने एक साथ आ रहे हैं ताकि ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने की सूरत में एक आपातकालीन प्लान बनाया जा सके। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हमें न केवल ऐस्टरॉइड के टकराने के शुरुआती असर से निपटने की तैयारी करनी होगी बल्कि उसके बाद पैदा होने वाले मानवाधिकारों के संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
पूरी दुनिया में शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा
वियना में आगामी 26 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच में प्लेनेटरी डिफेंस कॉन्फ्रेंस होने जा रहा है। इस बैठक में अंतरिक्ष मामलों के विशेषज्ञ यह चर्चा करेंगे कि अगर कोई ऐस्टरॉइड जैसी चीज धरती के पास वास्तविक रूप से आती है तो उसे लेकर क्या करना चाहिए। वैज्ञानिकों एक कल्पना के ऐस्टरॉइड की मदद से अपनी तैयारियों को परखेंगे। साथ ही उससे बचाव के तरीकों पर काम करेंगे।
इस दौरान वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह ऐस्टरॉइड धरती के किस हिस्से से टकराएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि किसी छोटे ऐस्टरॉइड के टकराने से कुछ किलोमीटर तक और अगर कोई बड़ा ऐस्टरॉइड टकराता है तो उसका असर कई सौ किलोमीटर तक हो सकता है। उनका कहना है कि अगर हम पहले से तैयारी नहीं करते हैं तो इस विस्फोट में लाखों लोगों की जान जा सकती है। तटीय इलाकों में बाढ़ आ सकती है। इससे पूरी दुनिया में शरणार्थी संकट पैदा हो जाएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अमेरिका और यूरोप में ऐस्टरॉइड टकरा सकते हैं जिससे एशिया में शरणार्थी संकट पैदा हो सकता है।
धरती को कितना नुकसान?
वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं। ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता। वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है।
साभार न् भारत टाइम्स