*सामाजिक दूरी*
स्वरचित अभिव्यक्ति निर्मल की लेखनी से प्रस्तुत है।
‘सामाजिक दूरी’ जैसी राष्ट्रव्यापी अभियान में महापुरुष के पग पखार वंदन।
इस वैश्विक महामारी में ऐसी विश्वव्यापी अभियान के अनुसंधान कर्ता को हार्दिक नमन, अभिनंदन व वंदन।।
इस विश्वव्यापी अभियान को एक नई दिशा प्रदान किए।
संपूर्ण भारत में ही नहीं, विश्व को इसका पैगाम दिए।।
जन-जन को इस अभियान का मंत्र-मुग्ध मंगल-मंत्र दिए।
संपूर्ण भारत के भूखण्ड को धर्म-कर्म से पवित्र किए।
‘तमसो माँ ज्योतिर्गमय’ वैदिक रीति से राष्ट्र को दिव्य ज्योति प्रदान किए।
भारतीय गणराज्य की हर गली, मुहल्ले, नुक्कड़ को ज्योतिर्मान किए।।
मानवीय संसर्ग व संपर्क में एक नए अध्याय का श्रीगणेश किए।
इस वैश्विक महामारी को दूर-दूर रहकर भी हराने का संकल्प लिए।।
अदृश्य विषाणुओं से मानवीय दैनिक जीवन के हर मोड़ पर संक्रमित न होने का मूल-मंत्र दिए।
सत्य सात्विकता व व्यवहारिकता से भारतीय समाज में नव-जीवन संचार किए।।
उद्देश्यपूर्ण समूह को सामूहिक सद्विचारों , सद्भावनाओं एवं धार्मिक आस्था अनुष्ठान से अनुग्रहित किए।
भारतीय संस्कार व संस्कृति को सुसंस्कृत एवं शोभायमान किए।।
बनकर पथ-प्रदर्शक, अदृश्य विषाणुओं के दुस्कृति व दुष्प्रभाव से मानवीय काया का कायाकल्प किए।
इस सामाजिक दूरी जैसे अभियान को जन जन तक पहुंचाने का जागरण किए।।
ऐसे महान युगपुरुष की ऐसी महान कृति को पुनः नमन, अभिनंदन व वंदन।
ऐसे अभियान की वृति को गतिमान करने की पुण्य अभिवृत्ति को ‘निर्मल’ का शत्-शत् नमन, शत्-शत् नमन, शत्-शत् नमन।