बैंक मोड चैंबर एवं पुराना बाज़ार चैंबर के पूर्व अध्यक्षों ने लचर विधुत व्यवस्था को लेकर विधुत महाप्रबंधक के नाम ज्ञापन सौंपा

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मनीष रंजन की रिपोर्ट

धनबाद की लचर विधुत व्यवस्था से आम-जन में अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति रोष रौद्र रूप लेने जा रहा है । झारखंड विधुत वितरण निगम लिमिटेड और डीवीसी की लड़ाई में आम जनता को जो तकलीफ हो रही है उसे स्थानीय जन प्रतिनिधि सिर्फ अपने बयानों तक ही सिमट कर रखे हैं। इसलिए ऐसे हालात में धनबाद के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आगे आकर विभिन्न प्लेटफार्म पर अपनी बातों को रख रहे हैं।
आज ऐसे ही धनबाद के दो सामाजिक संस्थाओं से जुडे कार्यकर्त्ता और अपने क्षेत्र के चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रहे श्री सोहराब खान एवं श्री सुरेंद्र अरोड़ा ने धनबाद के झारखंड विधुत वितरण निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा जिसमें उन्होने लोगों को हो रही परेशानी को विस्तार से बताया। हालांकि महाप्रबंधक श्री अजित कुमार की उपस्थिति नहीं होने की वजह से कार्यपालक अभियंता श्री राजेश रजवार जी को ज्ञापन सौंपा।

        सामाजिक कार्यकर्ता सह बैंक मोड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र अरोड़ा एवं सामाजिक कार्यकर्ता सह पुराना बाज़ार चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष सोहराब खान ने कहा कि प्रतिदिन 12 से 14 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है जिसके कारण आमजन जीवन , व्यवसाय ,अस्पताल में भर्ती मरीज एवं बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इन्वर्टर फेल हो रहे है। कोरोना काल मे व्यवसाय पहले ही खराब है रही सही कसर बिजली की लचर व्यवस्था ने पूरी कर दी है। बिजली कब जाएगी और कब आएगी सुनिश्चित नही रहने के कारण व्यावसायिक प्रतिष्ठान, अस्पताल, अपार्टमेंट, रेस्ट्रोरेंट, सरकारी दफ़्तरों मे कार्य तो बाधित हो ही रहा है जेनसेट चलने से डीज़ल के भारी खर्च का अतिरिक्त बोझ भी आमजन को ही झेलना पड़ रहा है l

श्री सुरेन्द्र अरोड़ा एवं सोहराब खान ने बताया कि विभाग से कारण पूछने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा डीवीसी का हवाला दिया जाता है जब कि उपभोक्ता बिल का भुगतान जेबीवीएनएल को करता है l

श्री सुरेन्द्र अरोड़ा एवं श्री सोहराब खान ने कहा कि अगर एक सप्ताह में धनबाद की लचर बिजली व्यवस्था में सुधार नही हुआ तो संवैधानिक रूप से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गाँधी जी की प्रतिमा के पास विभाग के विरुद्ध मौन धरना पर बैठने को विवश होना पड़ेगा।

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