ईसाई धर्मावलम्बियों द्वारा पहला परम प्रसाद ग्रहण संस्कार कार्यक्रम का आयोजन
चंदन पाल की रिपोर्ट
‘बच्चे हम हैं प्रभु के वीर’ गीत से पूरा संत एंथोनी चर्च, धनबाद, हॉल गूंज उठा। आज दिनांक 19 नवंबर 2023 प्रातः 7:30 बजे पूर्वाह्न दिन रविवार को धनबाद में पहला परम प्रसाद ग्रहण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परम प्रसाद ग्रहण संस्कार ईसाई धर्मावलंबियों के सात महानतम संस्कारों में से एक है जिसे कुल 46 बच्चे और बच्चियों ने सफेद वस्त्र पहन, हाथों में प्रदीप्त मोमबत्ती लिए इस पहली बार ग्रहण किया। साथ ही उन्हें पहले परम प्रसाद का प्रमाण पत्र भी दिया गया। इसे ग्रहण करने के लिए बच्चे वर्षों से धर्म पर आधारित शिक्षा ग्रहण करते हैं। धर्म शिक्षा देने में मिशनरीज आफ चैरिटी की सिस्टर फ्लोरेंस मेरी, सिस्टर बिल्जेनिया एवं सिस्टर अनन्या का काफी योगदान रहा है। दिनांक 18 नवंबर 2023 को सभी परम प्रसाद ग्रहण करने वाले बच्चे और बच्चियां द्वारा फादर के सामने पाप स्वीकार कराया गया। कार्यक्रम के पूर्व मोमबत्ती लिए 46 बच्चे और बच्चियों- अभिषेक मिंज, आशी बिलूंग, अदिति निकोलेट, एरोन टूटी, एकांश बारा, एमी विंसी कुल्लू, एंडिरिका कुजूर, एंजेल स्मिथ, एंजेलिना बारा, अनुष्का बारा, अर्चना टोप्पो, एरलिना टिगगा, एल्विन मंडल, आन्या खलखो, आर्यन तिर्की, अलीना एक्का, एथन तिगगा, एस्थर कैब, ग्रेसी शाह, हर्ष टेटे, जिमी तिर्की, कोलीन कैब, ममता मुर्मू, मार्शल कैंप, नैंसी मंडल, नीतू मुर्मू, ओलिव जोआना, प्रिंस खलखो, प्रिंस शाह, प्रिया मरांडी, रेबेका बाखला, रोहन फ्रांसिस, रोहित होरो, रोज एक्का, रोजलीन मंडल, रोनी बाखला, रोलैंड सिंह, रिया कैंप, संगीता मुर्मू, शानिया वैनरिसटल, सेजल एक्का, शेविका पिल्लई, सुजाना एडिथ, तन्मय टेटे, विसेंट मरांडी एवं अनिकेत मिंज जो सफेद वस्त्र पहने एवं हाथों में मोमबत्ती लिए हुए प्रवेश नृत्य करती महिला संघ के सदस्यों के नेतृत्व में वेदी तक ले जाए गए। इन बच्चों के साथ ही फादर ज्ञान प्रकाश टोपनो, फादर प्रदीप मरांडी, फादर सटेनिस कुजूर, फादर अजय तिड़ू, फादर दिलीप मरांडी एवं फादर जयराज ने भी हाथ जोड़ कर प्रवेश किया। तत्पश्चात प्रार्थना समारोह आरंभ हुआ। प्रार्थना समारोह को सुंदर गीतों से चर्च के कोयर ग्रुप ने सजाया जिसमें विशेष रूप से की-बोर्ड पर रिशु प्रिया सुरीन, गिटार पर संजय पूर्ति पद पर हर्षित बरला, महिला समिति के सदस्य तथा यूथ शामिल थे। पहले परम प्रसाद ग्रहण संस्कार ईसाई धर्मावलंबियों का एक अभिषेक है। पहली बार यह संस्कार ग्रहण कर रहे बच्चे और बच्चियों को फादर रोटी देते हुए कहते हैं- लो और खाओ यह मेरा शरीर है जो तुम्हारे जीवन के लिए है उसके बाद पीने को दाखरस देते हुए कहते हैं इस को और पियो यह मेरा लहू है जो तुम्हारे लिए बहाया जाएगा। यह संस्कार ईशवरीय विश्वास में दृढ़ होने के लिए ग्रहण कराया जाता है। ईसाई धमावलंबियों के सात महान संस्कारों में से यह एक महत्वपूर्ण संस्कार है। सात महान संस्कार- बपतिस्मा (जन्म के साथ नामकरण) पाप स्वीकार (परम प्रसाद लेने के पूर्व) परम प्रसाद, दृढ़ीकरण, विवाह, बुलाहट (पुरोहित अभिषेक) तथा अंत- मलन (मृत्यु के पश्चात) हैं। आज के समारोही कार्यक्रम के मुख्य अनुष्ठाता जमशेदपुर धर्म प्रांत से आए फादर लिनुस किंडो ने अपने उपदेश में कहा- जब मनुष्य ने पाप किया तब ईश्वर ने अवश्य ही उन्हें दंड दिया किंतु उन्हें कभी भी अनाथ नहीं छोड़ा और उन्हें अपने पास वापस बुलाने के लिए किसी न किसी रूप में ईश्वर द्वारा निरंतर कोशिश की गई। इन्हीं कोशिशें का एक नतीजा था प्रभु यीशु का मानव रूप में जन्म लेना। यीशु मसीह ने अपने प्राणों का त्याग कर हमें यह सिखाया कि हम ईश्वर पर विश्वास करें और ईश्वर की इच्छा को अपनाकर स्वर्ग में प्रवेश करें। ईश्वर की इसी योजना के अनुसार प्रभु यीशु यह जानते थे कि वह लोगों द्वारा पकड़वाये जाएंगे और क्रूस पर मार दिए जाएंगे। पकड़वाये जाने के पहले उन्होंने यूखरिस्त की स्थापना की और हमसे यह कहा कि मेरी स्मृति में यह किया करो अर्थात जब भी मेरे नाम पर एकत्र होकर रोटी तथा दाखरस ग्रहण करोगे तो मैं वहां उनके बीच उपस्थित होऊंगा और आपके जीवन में सदा सर्वदा साथ रहूंगा। यह उनका वादा है हमसे और हम इस पर विश्वास करते हैं। इसी विश्वास के कारण आज हम यहां एकत्रित हुए हैं। इसे ग्रहण करने वाला कभी ना मरेगा वरन शारीरिक मृत्यु के बाद भी सदा सर्वदा जीवित रहेगा। जब कभी हम ईश्वर की नजरों में गलत करते हैं अथवा पाप करते हैं तो हम परम प्रसाद ग्रहण करने के लिए अयोग्य ठहराए जाते हैं इसलिए इसे ग्रहण करने से पहले आवश्यक है कि हम अपने मन एवं हृदय की जांच करें और उचित रीति से अपने पापों को मानकर, अपने पापों पर पश्चाताप करें और तब इसे ग्रहण करें ताकि हम ईश्वर की उपस्थिति को अपने अंदर पहचान सकें और स्वयं जीवित ईश्वर को पूरे आदर और सम्मान के साथ ग्रहण कर सके। आज के पवित्र समारोह को सफल बनाने में शिशिर प्रभात तिर्की, जॉन कैंप, प्रीति डाहंआ, विजेता, एतवा टूटी, हरमन बागे आदि की सराहनीय भूमिका रही।