टिड्डी दल के संभावित आक्रमण से बचने के लिए डीडीसी ने की टिड्डी नियंत्रण कार्यदल की बैठक
टिड्डी दल द्वारा खेत, जंगल, फसल, वृक्ष पर संभावित आक्रमण से बचने के लिए उप विकास आयुक्त श्री बाल किशुन मुंडा की अध्यक्षता में टिड्डी नियंत्रण कार्यदल की बैठक आयोजित की गई और टिड्डी के दल के संभावित हमले की समीक्षा की गई।
उप विकास आयुक्त ने कहा कि टिड्डी दल द्वारा खेत, जंगल, फसल, वृक्ष पर एक साथ आक्रमण किया जाता है। टिड्डी का दल पूरी हरियाली को समाप्त कर देते हैं। इसलिए वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रहण निदेशालय, फरीदाबाद (हरियाणा) तथा टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर से संपर्क कर टिड्डी दल के मूवमेंट की जानकारी ली जा रही है।
उन्होंने बताया कि टिड्डी दल के लिए भूमि की नमी अंडा देने के लिए सबसे योग्य स्थान है। कृषक द्वारा जमीन एवं खेत की जोताई मिट्टी पलटने वाले हल से कर दी जाए तो टिड्डी के अंडे नष्ट हो जाते हैं। सूर्यास्त के बाद टिड्डी का दल पेड़ या झाड़ी पर विश्राम करता है। इनके बैठने की जगह पर क्लोरपाइरीफॉस 20% ई.सी., क्लोरपाइरीफॉस 50% ई.सी., लेलडासाइहैलोथिन 5% ई.सी., मैलाथियान 50% ई.सी., फेनाइट्रोथियान 50% ई.सी., डेलटामेथ्रीन 28% ई.सी., फ्रिपोनिल 5% ई.सी. अथवा मेटाराइजियम एनीसोपली जैसे कीटनाशक के छिड़काव से इनपर नियंत्रण रखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि टिड्डी के हमले से बचने के लिए धुआं करके या ढोल-नगाड़े या बर्तन आदि पिटने से उत्पन्न शोर उनको भगा देता है।
उप विकास आयुक्त ने जिला कृषि पदाधिकारी से अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर कीटनाशक छिड़काव के लिए सारी तैयारियां करने का निर्देश दिया। साथ ही वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रहण निदेशालय, फरीदाबाद (हरियाणा) तथा टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर से नियमित रूप से संपर्क रखने का निर्देश दिया।
बैठक में उप विकास आयुक्त श्री बाल किशुन मुंडा, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी, जिला अग्निशमन विभाग के पदाधिकारी, जिला पौधा संरक्षण पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक व अन्य लोग उपस्थित थे।